सूरह अज जुहा हिंदी में – सूरह 93
शुरू अल्लाह के नाम से जो बड़ा मेहरबान, निहायत रहम वाला है।
क़सम है रोज़े रोशन (चढ़ते दिन) की। और रात की जब वह छा जाए। तुम्हारे रब ने तुम्हें नहीं छोड़ा। और न वह तुमसे बेज़ार (अप्रसन्न) हुआ। और यक़ीनन आख़िरत तुम्हारे लिए दुनिया से बेहतर है। और अनक़रीब अल्लाह तुझे देगा। फिर तू राजी हो जाएगा। कया अल्लाह ने तुम्हें यतीम (अनाथ) नहीं पाया फिर ठिकाना दिया। और तुम्हें मुतताशी पाया तो राह दिखाई। और तुम्हें नादार (निर्धन) पाया तो तुम्हें गनी (समृद्ध) कर दिया। पस तुम यतीम पर सख्ती न करो। और तुम साइल (मांगने वाले) को न झिड़को। और तुम अपने रब की नेमत बयान करो। (1-11)