धर्म

सूरह अल मुतफ़्फ़िफीन हिंदी में – सूरह 83

शुरू अल्लाह के नाम से जो बड़ा मेहरबान, निहायत रहम वाला है।

ख़राबी है नाप तौल में कमी करने वालों की। जो लोगों से नाप कर लें तो पूरा लें। और जब उन्हें नाप कर या तौल कर दें तो घटा कर दें। क्‍या ये लोग नहीं समझते कि वे उठाए जाने वाले हैं, एक बड़े दिन के लिए जिस दिन तमाम लोग खुदावंदे आलम के सामने खड़े होंगे। हरगिज़ नहीं, बेशक गुनाहगारों का आमालनामा (कर्म-पत्र) सिज्जीन में होगा। और तुम कया जानो कि सिज्जीन कया है। वह एक लिखा हुआ दफ़्तर है। ख़राबी है उस दिन झुठलाने वालों की। जो इंसाफ़ के दिन को झुटलाते हैं। और उसे वही शख्स झुठलाता है जो हद से गुजरने वाला हो, गुनाहगार हो। जब उसे हमारी आयतें सुनाई जाती हैं तो वह कहता है कि ये अगलों की कहानियां है। हरगिज़ नहीं, बल्कि उनके दिलों पर उनके आमाल का जंग चढ़ गया है। हरगिज़ नहीं, बल्कि उस दिन वे अपने रब से ओट में रखे जाएंगे। फिर वे दोज़ख में दाख़िल होंगे। फिर कहा जाएगा कि यही वह चीज़ है जिसे तुम झुठलाते थे। (1-17)

हरगिज़ नहीं, बेशक नेक लोगों का आमालनामा इल्लिय्यीन में होगा। और तुम क्या जानो इल्लिय्यीन क्या है। लिखा हुआ दफ़्तर है, मुक़र्रब फ़रिश्तों की निगरानी में | बेशक नेक लोग आराम में होंगे। तख़्तों पा बैठे देखते होंगे। उनके चेहरों में तुम आराम की ताज़गी महसूस करोगे। उन्हें शराबे ख़ालिस मुहर लगी हुई पिलाई जाएगी, जिस पर मुश्क की मुहर होगी। और यह चीज़ है जिसकी हिर्स करने वालों को हिर्स करना चाहिए। और उस शराब में तस्नीम की आमेजिश होगी। एक ऐसा चशमा (स्रोत) जिससे मुक़र्रब लोग पियेंगे। बेशक जो लोग मुजरिम थे वे ईमान वालों पर हंसते थे। और जब वे उनके सामने से गुज़रते तो वे आपस में आंखों में इशारे करते थे। और जब वे अपने लोगों में लौटते तो दिल्लगी करते हुए लौटते। और जब वे उन्हें देखते तो कहते कि ये बहके हुए लोग हैं। हालांकि वे उन पर निगरां बनाकर नहीं भेजे गए। पस आज ईमान वाले मुंक़िरों पर हंसते होंगे, तख़्तों पर बैठे देख रहे होंगे। वाक़ई मुंकिरों को उनके किए का खूब बदला मिला। (18-36)

सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

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