सूरह अन नाज़िआत हिंदी में – सूरह 79
शुरू अल्लाह के नाम से जो बड़ा मेहरबान, निहायत रहम वाला है।
क़सम है जड़ से उखाड़ने वाली हवाओं की। और क़सम है आहिस्ता चलने वाली हवाओं की। और क़सम है तैरने वाले बादलों की। फिर सबक़त (अग्रसरता) करके बढ़ने वालों की। फिर मामले की तदबीर करने वालों की। जिस दिन हिला देने वाली हिला डालेगी। उसके पीछे एक और आने वाली चीज़ आएगी। कितने दिल उस दिन धड़कते होंगे। उनकी आंखें झुक रही होंगी। वे कहते हैं क्या हम पहली हालत में फिर वापस होंगे। क्या जब हम बोसीदा हड़िडियां हो जाऐंगे। उन्होंने कहा कि यह वापसी तो बड़े घाटे की होगी। वह तो बस एक डांट होगी, फिर यकायक वे मैदान में मौजूद होंगे। (1-14)
क्या तुम्हें मूसा की बात पहुंची है। जबकि उसके रब ने उसे तुवा की मुक़ददस (पवित्र) वादी में पुकारा। फ़िरऔन के पास जाओ, वह सरकश हो गया है। फिर उससे कहो क्या तुझे इस बात की ख़्वाहिश है कि तू दुरुस्त हो जाए। और मैं तुझे तेरे रब की राह दिखाऊं फिर तू डरे। पस मूसा ने उसे बड़ी निशानी दिखाई। फिर उसने झुठलाया और न माना | फिर वह पलटा कोशिश करते हुए। फिर उसने जमा किया, फिर उसने पुकारा। पस उसने कहा कि मैं तुम्हारा सबसे बड़ा रब हूं। पस अल्लाह ने उसे आख़िरत और दुनिया के अज़ाब में पकड़ा। बेशक इसमें नसीहत है हर उस शख्स के लिए जो डरे। (15-26)
क्या तुम्हारा बनाना ज़्यादा मुश्किल है या आसमान का, अल्लाह ने उसे बनाया। उसकी छत को बुलन्द किया फिर उसे दुरुस्त बनाया। और उसकी रात को तारीक (अंधकारमय) बनाया और उसके दिन को जाहिर किया। और ज़मीन को इसके बाद फैलाया। उससे उसका पानी और चारा निकाला। और पहाड़ों को क़ायम कर दिया, सामाने हयात (जीवन-सामग्री) के तौर पर तुम्हारे लिए और तुम्हारे मवेशियों के लिए। (27-33)
फिर जब वह बड़ा हंगामा आएगा। जिस दिन इंसान अपने किए को याद करेगा। और देखने वालों के सामने दोजख़ ज़ाहिर कर दी जाएगी। पस जिसने सरकशी की और दुनिया की ज़िंदगी को तरजीह दी, तो दोजख़ उसका ठिकाना होगा और जो शख्स अपने रब के सामने खड़ा होने से डरा और नफ़्स को ख्वाहिश से रोका, तो जन्नत उसका ठिकाना होगा। वे क़ियामत के बारे में पूछते हैं कि वह कब खड़ी होगी। तुम्हें क्या काम उसके जिक्र से। यह मामला तेरे रब के हवाले है। तुम तो बस डराने वाले हो उस शख्स को जो डरे। जिस रोज़ ये उसे देखेंगे तो गोया वे दुनिया में नहीं ठहरे मगर एक शाम या उसकी सुबह। (34-46)