धर्म

सूरह अन नबा हिंदी में – सूरह 78

शुरू अल्लाह के नाम से जो बड़ा मेहरबान, निहायत रहम वाला है।

लोग किस चीज़ के बारे में पूछ रहे हैं। उस बड़ी ख़बर के बारे में, जिसमें वे लोग मुख्तलिफ़ हैं। हरगिज़ नहीं, अनक़रीब वे जान लेंगे। हरगिज़ नहीं, अनक़रीब वे जान लेंगे। क्या हमने ज़मीन को फ़र्श नहीं बनाया, और पहाड़ों को मेख़ें। और तुम्हें हमने बनाया जोड़े जोड़े, और नींद को बनाया तुम्हारी थकान दूर करने के लिए। और हमने रात को पर्दा बनाया, और हमने दिन को मआश (जीविका) का वक़्त बनाया। और हमने तुम्हारे ऊपर सात मज़बूत आसमान बनाए। और हमने उसमें एक चकमता हुआ चराग रख दिया। और हमने पानी भरे बादलों से मूसलाधार पानी बरसाया, ताकि हम उसके ज़रिए से उगाएं गल्ला और सब्जी और घने बाग। बेशक फ़ैसले का दिन एक मुक़र्रर वक़्त है। (1-17)

जिस दिन सूर फूंका जाएगा, फिर तुम फ़ौज दर फ़ौज आओगे। और आसमान खोल दिया जाएगा, फिर उसमें दरवाज़े ही दरवाज़े हो जाएंगे। और पहाड़ चला दिए जाएंगे तो वे रेत की तरह हो जाएंगे। बेशक जहन्नम घात में है, सरकशों का ठिकाना, उसमें वे मुद्दतों पड़े रहेंगे। उसमें वे न किसी ठंडक को चखेंगे और न पीने की चीज़, मगर गर्म पानी और पीप, बदला उनके अमल के मुवाफ़िक़ | वे हिसाब का अंदेशा नहीं रखते थे। और उन्होंने हमारी आयतों का बिल्कुल झुठला दिया। और हमने हर चीज़ को लिखकर शुमार कर रखा है। पस चखो कि हम तुम्हारी सज़ा ही बढ़ाते जाऐँगे। (18-30)

बेशक डरने वालों के लिए कामयाबी है। बाग़ और अंगूर। और नौख़ेज़ हमसिन लड़कियां। और भरे हुए जाम। वहां वे लग्व (घटिया, निरर्थक) और झूठी बात न सुनेंगे। बदला तेरे रब की तरफ़ से होगा, उनके अमल के हिसाब से रहमान की तरफ़ से जो आसमानों और ज़मीन और उनके दर्मियान की चीज़ों का रब है, कोई क्ुदरत नहीं रखता कि उससे बात करे। जिस दिन रूह और फ़रिश्ते सफ़बस्ता (पंक्तिबद्ध) खड़े होंगे, कोई न बोलेगा मगर जिसे रहमान इजाजत दे, और वह ठीक बात कहेगा। यह दिन बरहक़ है, पस जो चाहे अपने रब की तरफ़ ठिकाना बना ले। हमने तुम्हें क़रोब आ जाने वाले अज़ाब से डरा दिया है, जिस दिन आदमी उसको देख लेगा जो उसके हाथों ने आगे भेजा है, और मुंकिर कहेगा, काश मैं मिट॒टी होता। (31-40) 

सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

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