सूरह अस सफ़्फ़ हिंदी में – सूरह 61
शुरू अल्लाह के नाम से जो बड़ा मेहरबान, निहायत रहम वाला है।
अल्लाह की तस्बीह करती है हर चीज़ जो आसमानों और ज़मीन में है। और वह ग़ालिब (प्रभुत्वशाली) है हकीम (तत्वदर्शी) है। ऐ ईमान वालो, तुम ऐसी बात क्यों कहते हो जो तुम करते नहीं। अल्लाह के नज़दीक यह बात बहुत नाराज़ी की है कि तुम ऐसी बात कहो जो तुम करो नहीं। अल्लाह तो उन लोगों को पसंद करता है जो उसके रास्ते में इस तरह मिलकर लड़ते हैं गोया वे एक सीसा पिलाई हुई दीवार हैं। (1-4)
और जब मूसा ने अपनी क़ौम से कहा कि ऐ मेरी क़ौम, तुम लोग क्यों मुझे सताते हो, हालांकि तुम्हें मालूम है कि मैं तुम्हारी तरफ़ अल्लाह का भेजा हुआ रसूल हूं। पस जब वे फिर गए तो अल्लाह ने उनके दिलों को फेर दिया। और अल्लाह नाफ़रमान लोगों को हिदायत नहीं देता। (5)
और जब ईसा बिन मरयम ने कहा कि ऐ बनी इस्राईल मैं तुम्हारी तरफ़ अल्लाह का भेजा हुआ रसूल हूं, तस्दीक़ (पुष्टि) करने वाला हूं उस तौरात की जो मुझसे पहले से मौजूद है, और ख़ुशख़बरी देने वाला हूं एक रसूल की जो मेरे बाद आएगा, उसका नाम अहमद होगा | फिर जब वह उनके पास खुली निशानियां लेकर आया तो उन्होंने कहा, यह तो खुला हुआ जादू है। और उससे बढ़कर ज़ालिम कौन होगा जो अल्लाह पर झूठ बांधे हालांकि वह इस्लाम की तरफ़ बुलाया जा रहा हो, और अल्लाह ज़ालिम लोगों को हिदायत नहीं देता। वे चाहते हैं कि अल्लाह की रोशनी को अपने मुंह से बुझा दें, हालांकि अल्लाह अपनी रोशनी को पूरा करके रहेगा, चाहे मुंकिरों को यह कितना ही नागवार हो। वही है जिसने भेजा अपने रसूल को हिदायत और दीने हक़ के साथ ताकि उसे सब दीनों पर ग़ालिब कर दे चाहे मुश्रिकों (बहुदेववादियों) को यह कितना ही नागवार हो। (6-9)
ऐ ईमान वालो, क्या मैं तुम्हें एक ऐसी तिजारत बताऊं जो तुम्हें एक दर्दनाक अज़ाब से बचा ले। तुम अल्लाह और उसके रसूल पर ईमान लाओ और अल्लाह की राह में अपने माल और अपने जान से जिहाद (जिद्दोजहद) करो, यह तुम्हारे लिए बेहतर है अगर तुम जानो। अल्लाह तुम्हारे गुनाह माफ़ कर देगा और तुम्हें ऐसे बाग़ों में दाख़िल करेगा जिनके नीचे नहरें जारी होंगी, और उम्दा मकानों में जो हमेशा रहने के बाग़ों में होंगे, यह है बड़ी कामयाबी और एक और चीज़ भी जिसकी तुम तमन्ना रखते हो, अल्लाह की मदद और फ़तह जल्दी, और मोमिनों को बशारत (शुभ सूचना) दे दो। (10-13)
ऐ ईमान वालो, तुम अल्लाह के मददगार बनो, जैसा कि ईसा बिन मरयम ने हवारियों (साथियों) से कहा, कौन अल्लाह के वास्ते मेरा मददगार बनता है। हवारियों ने कहा हम हैं अल्लाह के मददगार, पस बनी इस्राईल में से कुछ लोग ईमान लाए और कुछ लोगों ने इंकार किया। फिर हमने ईमान लाने वालों की उनके दुश्मनों के मुक़ाबले में मदद की, पस वे ग़ालिब हो गए। (14)