धर्म

सूरह अश शु’ अरा हिंदी में – सूरह 26

शुरू अल्लाह के नाम से जो बड़ा मेहरबान, निहायत रहम वाला है।

ता० सीन० मीम०। ये वाज़ेह किताब की आयतें हैं। शायद तुम अपने को हलाक कर डालोगे इस पर कि वे ईमान नहीं लाते। अगर हम चाहें तो उन पर आसमान से निशानी उतार दें। फिर उनकी गर्दनें उसके आगे झुक जाएं। उनके पास रहमान की तरफ़ से कोई भी नई नसीहत ऐसी नहीं आती जिससे वे बेरुख़ी न करते हों। पस उन्होंने झुठला दिया। तो अब अनक़रीब उन्हें उस चीज़ की हक़ीक़त मालूम हो जाएगी जिसका वे मज़ाक़ उड़ाते थे। (1-6)

क्या उन्होंने ज़मीन को नहीं देखा कि हमने उसमें किस क़द्र तरह-तरह की उम्दा चीज़ें उगाई हैं। बेशक इसमें निशानी है और उनमें से अक्सर लोग ईमान नहीं लाते। और बेशक तुम्हारा रब ग़ालिब (प्रभुत्वशाली) है, रहम करने वाला है। (7-9)

और जब तुम्हारे रब ने मूसा को पुकारा कि तुम ज़ालिम क़ौम के पास जाओ, फ़िरऔन की क़ौम के पास, क्या वे नहीं डरते। मूसा ने कहा ऐ मेरे रब, मुझे अंदेशा है कि वे मुझे झुठला देंगे। और मेरा सीना तंग होता है और मेरी ज़बान नहीं चलती | पस तू हारून के पास पैग़ाम भेज दे। और मेरे ऊपर उनका एक जुर्म भी है पस मैं डरता हूं कि वे मुझे क़त्ल कर देंगे। (10-14)

फ़रमाया कभी नहीं। पस तुम दोनों हमारी निशानियों के साथ जाओ, हम तुम्हारे साथ सुनने वाले हैं। पस तुम दोनों फ़िर२औन के पास जाओ और कहो कि हम ख़ुदावंद आलम के रसूल हैं। कि तू बनी इस्राईल को हमारे साथ जाने दे। फ़िरऔन ने कहा, क्या हमने तुम्हें बचपन में अपने अंदर नहीं पाला। और तुमने अपने उम्र के कई साल हमारे यहां गुज़ारें। और तुमने अपना वह फ़ेअल (कृत्य) किया जो किया। और तुम नाशुक़रों में से हो। मूसा ने कहा। उस वक़्त मैंने किया था और मुझसे ग़लती हो गई। फिर मुझे तुम लोगों से डर लगा तो मैं तुमसे भाग गया। फिर मुझे मेरे रब ने दानिशमंदी (सूझबूझ) अता फ़रमाई और मुझे रसूलों में से बना दिया। और यह एहसान है जो तुम मुझे जता रहे हो कि तुमने बनी इस्राईल को गुलाम बना लिया। (15-22)

फ़िरऔन ने कहा कि रब्बुल आलमीन क्या है। मूसा ने कहा, आसमानों और ज़मीन का रब और उन सबका जो उनके दर्मियान हैं, अगर तुम यक्रीन लाने वाले हो। फ़िरऔन ने अपने इर्द-गिर्द वालों से कहा, क्या तुम सुनते नहीं हो। मूसा ने कहा वह तुम्हारा भी रब है। और तुम्हारे अगले बुजुर्गों का भी। फ़िरऔन ने कहा तुम्हारा यह रसूल जो तुम्हारी तरफ़ भेजा गया है मजनून है। मूसा ने कहा, मश्रिक़ि (पूर्व) व मग्रिब (पश्चिम) का रब और जो कुछ इनके दर्मियान है, अगर तुम अक़्ल रखते हो। फ़िरऔन ने कहा, अगर तुमने मेरे सिवा किसी को माबूद (पूज्य) बनाया तो मैं तुम्हें क्रैद कर दूंगा। मूसा ने कहा क्या अगर मैं कोई वाज़ेह दलील पेश करूं तब भी। फ़िरऔन ने कहा फिर उसे पेश करो अगर तुम सच्चे हो। फिर मूसा ने अपना असा (डंडा) डाल दिया तो यकायक वह एक सरीह (साक्षात) अज़दहा था। और उसने अपना हाथ खींचा तो यकायक वह देखने वालों के लिए चमक रहा था। फ़िरऔन ने अपने इर्द गिर्द के सरदारों से कहा, यक्रीनन यह शख्स एक माहिर जादूगर है। वह चाहता है कि अपने जादू से तुम्हें तुम्हारे मुल्क से निकाल दे। पस तुम क्या मश्विरा देते हो। (23-35)

दरबारियों ने कहा कि इसे और इसके भाई को मोहलत दीजिए। और शहरों में हरकारे भेजिए कि वे आपके पास तमाम माहिर जादूगरों को लाएं। पस जादूगर एक दिन मुक़र्रर वक़्त पर इकट्ठा किए गए और लोगों से कहा गया कि क्‍या तुम जमा होगे। ताकि हम जादूगरों का साथ दें अगर वे ग़ालिब रहने वाले हों। फिर जब जादूगर आए तो उन्होंने फ़िरऔन से कहा, क्या हमारे लिए कोई इनाम है अगर हम ग़ालिब रहे। उसने कहा हां, और तुम इस सूरत में मुक़र्रब (निकटवर्ती) लोगों में शामिल हो जाओगे। (36-42)

मूसा ने उनसे कहा कि तुम्हें जो कुछ डालना हो डालो। पस उन्होंने अपनी रस्सियां और लाठियां डालीं। और कहा कि फ़िरऔन के इक़बाल की क़सम हम ही ग़ालिब रहेंगे। फिर मूसा ने अपना असा (डंडा) डाला तो अचानक वह उस स्वांग को निगलने लगा जो उन्होंने बनाया था। फिर जादूगर सज्दे में गिर पड़े। उन्होंने कहा हम ईमान लाए रब्बुल आलमीन पर जो मूसा और हारून का रब है। (43-48)

फ़िरऔन ने कहा, तुमने उसे मान लिया इससे पहले कि मैं तुम्हें इजाज़त दूं। बेशक वही तुम्हारा उस्ताद है जिसने तुम्हें जादू सिखाया है। पस अब तुम्हें मालूम हो जाएगा। में तुम्हारे एक तरफ़ के हाथ और दूसरी तरफ़ के पांव काटूंगा और तुम सबको सूली पर चढ़ाऊंगा। उन्होंने कहा कि कुछ हरज नहीं। हम अपने मालिक के पास पहुंच जाएंगे। हम उम्मीद रखते हैं कि हमारा रब हमारी ख़ताओं को माफ़ कर देगा। इसलिए कि हम पहले ईमान लाने वाले बने। (49-51)

और हमने मूसा को “वही” (ईश्वरीय वाणी) भेजी कि मेरे बंदों को लेकर रात को निकल जाओ। बेशक तुम्हारा पीछा किया जाएगा। पस फ़िरऔन ने शहरों में हरकारे भेजे। ये लोग थोड़ी सी जमाअत हैं। और उन्होंने हमें गुस्सा दिलाया है। और हम एक मुस्तइद (चुस्त) जमाअत हैं। पस हमने उन्हें बाग़ों और चशमों स्रोतों) से निकाला, और ख़ज़ानों और उम्दा मकानात से। यह हुआ, और हमने बनी इस्राईल को इन चीज़ों का वारिस बना दिया। (52-59)

पस उन्होंने सूरज निकलने के वक़्त उनका पीछा किया। फिर जब दोनों जमाअऊतें आमने सामने हुईं तो मूसा के साथियों ने कहा कि हम तो पकड़े गए। मूसा ने कहा कि हरगिज़ नहीं, बेशक मेरा रब मेरे साथ है। वह मुझे राह बताएगा। फिर हमने मूसा को वही” (प्रकाशना) की कि अपना असा दरिया पर मारो। पस वह फट गया और हर हिस्सा ऐसा हो गया जैसे बड़ा पहाड़। और हमने दूसरे फ़रीक़ (पक्ष) को भी उसके क़रीब पहुंचा दिया। और हमने मूसा को और उन सबको जो उसके साथ थे बचा लिया। फिर दूसरों को ग़र्क़ कर दिया। बेशक इसके अंदर निशानी है। और उनमें से अक्सर मानने वाले नहीं हैं। और बेशक तेरा रब ज़बरदस्त है रहमत वाला है। (60-68)

और उन्हें इब्राहीम का क़िस्सा सुनोओ। जबकि उसने अपने बाप से और अपनी क्ौम से कहा कि तुम किस चीज़ की इबादत करते हो। उन्होंने कहा कि हम बुतों की इबादत करते हैं और बराबर इस पर जमे रहेंगे। इब्राहीम ने कहा, क्या ये तुम्हारी सुनते हैं जब तुम इन्हें पुकारते हो। या वे तुम्हें नफ़ा नुक़्सान पहुंचाते हैं। उन्होंने कहा, बल्कि हमने अपने बाप दादा को ऐसा ही करते हुए पाया है। (69-74)

इब्राहीम ने कहा, क्या तुमने उन चीज़ों को देखा भी जिनकी इबादत करते हो, तुम भी और तुम्हारे बड़े भी। ये सब मेरे दुश्मन हैं सिवा एक ख़ुदावंद आलम के जिसने मुझे पैदा किया, फिर वही मेरी रहनुमाई फ़रमाता है। और जो मुझे खिलाता है और पिलाता है। और जब मैं बीमार होता हूं तो वही मुझे शिफ़ा देता है। और जो मुझे मौत देगा फिर मुझे ज़िंदा करेगा। और वह जिससे मैं उम्मीद रखता हूं कि बदले के दिन मेरी ख़ता माफ़ करेगा। (75-82) 

ऐ मेरे रब, मुझे हिक्मत (तत्वदर्शिता) अता फ़रमा और मुझे नेक लोगों में शामिल फ़रमा। और मेरा बोल सच्चा रख बाद के आने वालों में। और मुझे बाग़े नेमत के वारिसों में से बना। और मेरे बाप को माफ़ फ़रमा, बेशक वह गुमराहों में से है। और मुझे उस दिन रुसवा न कर जबकि लोग उठाए जाएंगे। जिस दिन न माल काम आएगा और न औलाद | मगर वह जो अल्लाह के पास क़ल्बे सलीम (पाकदिल) लेकर आए। (83-89)

और जन्नत डरने वालों के क़रीब लाई जाएगी। और जहन्नम गुमराहों के लिए ज़ाहिर की जाएगी। और उनसे कहा जाएगा। कहां हैं वे जिनकी तुम इबादत करते थे, अल्लाह के सिवा। क्या वे तुम्हारी मदद करेंगे। या वे अपना बचाव कर सकते हैं। फिर उसमें औंधे मुंह डाल दिए जाएंगे, वे और गुमराह लोग और इब्लीस (शैतान) का लश्कर, सबके सब। वे उसमें बाहम झगड़ते हुए कहेंगे। ख़ुदा की क़सम, हम खुली हुई गुमराही में थे। जबकि हम तुम्हें ख़ुदावंद आलम के बराबर करते थे। और हमें तो बस मुजरिमों ने रास्ते से भटकाया। पस अब हमारा कोई सिफ़ारिशी नहीं। और न कोई मुख्लिस (निष्ठावान) दोस्त। पस काश हमें फिर वापस जाना हो कि हम ईमान वालों में से बनें। बेशक इसमें निशानी है। और उनमें अक्सर लोग ईमान लाने वाले नहीं। और बेशक तेरा रब ज़बरदस्त है, रहमत वाला है। (90-104)

नूह की क़ौम ने रसूलों को झुठलाया। जबकि उनके भाई नूह ने उनसे कहा, क्या तुम डरते नहीं हो। मैं तुम्हारे लिए एक अमानतदार रसूल हूं। पस तुम लोग अल्लाह से डरो। और मेरी बात मानो। और मैं इस पर तुमसे कोई अज् (बदला) नहीं मांगता। मेरा अज्र तो सिर्फ़ रब्बुल आलमीन के ज़िम्मे है। पस तुम अल्लाह से डरो और मेरी बात मानो उन्होंने कहा क्या हम तुम्हें मान लें। हालांकि तुम्हारी पैरवी रज़ील (नीच) लोगों ने की है। नूह ने कहा कि मुझे क्या ख़बर जो वे करते रहे हैं। उनका हिसाब तो मेरे रब के ज़िम्मे है, अगर तुम समझो। और मैं मोमिनों को दूर करने वाला नहीं हूं। मैं तो बस एक खुला हुआ डराने वाला हूं। (105-115)

उन्होंने कहा कि ऐ नूह अगर तुम बाज़ न आए तो ज़रूर संगसार कर दिए जाओगे। नूह ने कहा कि ऐ मेरे रब, मेरी क़ौम ने मुझे झुठला दिया। पस तू मेरे और उनके दर्मियान वाज़ेह फ़ैसला फ़रमा दे। और मुझे और जो मोमिन मेरे साथ हैं उन्हें नजात दे। फिर हमने उसे और उसके साथियों को एक भरी हुई कक्षती में बचा लिया। फिर इसके बाद हमने बाक़ी लोगों को ग़र्क़ कर दिया। यक़्ीनन इसके अंदर निशानी है, और उनमें से अक्सर लोग मानने वाले नहीं। और बेशक तेरा रब वही ज़बरदस्त है, रहमत वाला है। (116-122) 

आद ने रसूलों को झुठलाया। जबकि उनके भाई हूद ने उनसे कहा कि क्या तुम लोग डरते नहीं। मैं तुम्हारे लिए एक मोतबर (विश्वसनीय) रसूल हूं। पस अल्लाह से डरो और मेरी बात मानो। और मैं इस पर तुमसे कोई बदला नहीं मांगता। मेरा बदला सिर्फ़ ख़ुदावंद आलम के ज़िम्मे है। क्या तुम हर ऊंची ज़मीन पर लाहासिल (व्यर्थ) एक यादगार इमारत बनाते हो और बड़े-बड़े महल तामीर करते हो। गोया तुम्हें हमेशा रहना है। और जब किसी पर हाथ डालते हो तो जब्बार (दमनकारी) बनकर डालते हो। पस तुम अल्लाह से डरो और मेरी बात मानो। और उस अल्लाह से डरो जिसने उन चीज़ों से तुम्हें मदद पहुंचाई जिन्हें तुम जानते हो। उसने तुम्हारी मदद की चौपायों और औलाद से और बाग़ों और चशमों (स्रोतों) से | मैं तुम्हारे ऊपर एक बड़े दिन के अज़ाब से डरता हूं। (123-135)

उन्होंने कहा, हमारे लिए बराबर है, चाहे तुम नसीहत करो या नसीहत करने वालों में से न बनो। यह तो बस अगले लोगों की एक आदत है। और हम पर हरगिज़ अज़ाब आने वाला नहीं है। पस उन्होंने उसे झुठला दिया, फिर हमने उन्हें हलाक कर दिया। बेशक इसके अंदर निशानी है। और उनमें से अक्सर लोग मानने वाले नहीं हैं। और बेशक तुम्हारा रब वह ज़बरदस्त है रहमत वाला है। (136-140)

समूद ने रसूलों को झुठलाया | जब उनके भाई सालेह ने उनसे कहा, क्‍या तुम डरते नहीं। मैं तुम्हारे लिए एक मोतबर (विश्वसनीय) रसूल हूं। पस तुम अल्लाह से डरो और मेरी बात मानो। और मैं तुमसे इस पर कोई बदला नहीं मांगता। मेरा बदला सिर्फ़ ख़ुदावंद आलम के ज़िम्मे है। क्या तुम्हें उन चीज़ों में बेफ़िक्री से रहने दिया जाएगा जो यहां हैं, बाग़ों और चशमों में। और खेतों और रस भरे गुच्छों वाले खजूरों में। और तुम पहाड़ खोदकर फ़ख्र करते हुए मकान बनाते हो। पस अल्लाह से डरो और मेरी बात मानो और हद से गुज़र जाने वालों की बात न मानो जो ज़मीन में ख़राबी करते हैं। और इस्लाह नहीं करते। (141-152)

उन्होंने कहा, तुम पर तो किसी ने जादू कर दिया है। तुम सिर्फ़ हमारे जैसे एक आदमी हो, पस तुम कोई निशानी लाओ अगर तुम सच्चे हो, सालेह ने कहा यह एक ऊंटनी है। इसके लिए पानी पीने की एक बारी है। और एक मुक़र्रर दिन की बारी तुम्हारे लिए है। और इसे बुराई के साथ मत छेड़ना वर्ना एक बड़े दिन का अज़ाब तुम्हें पकड़ लेगा। फिर उन्होंने उस ऊंटनी को मार डाला फिर पशेमां (पछतावा-ग्रस्त) होकर रह गए। फिर उन्हें अज़ाब ने पकड़ लिया। बेशक इसमें निशानी है और उनमें से अक्सर मानने वाले नहीं। और बेशक तुम्हारा रब वह ज़बरदस्त है, रहमत वाला है। (153-159)

लूत की क़ौम ने रसूलों को झुठलाया | जब उनके भाई लूत ने उनसे कहा, क्‍या तुम डरते नहीं। मैं तुम्हारे लिए एक मोतबर (विश्वसनीय) रसूल हूं। पस अल्लाह से डरो और मेरी बात मानो। मैं इस पर तुमसे कोई बदला नहीं मांगता। मेरा बदला तो ख़ुदावंद आलम के ज़िम्मे है। क्या तुम दुनिया वालों में से मर्दों के पास जाते हो। और तुम्हारे रब ने तुम्हारे लिए जो बीवियां पैदा की हैं उन्हें छोड़ते हो, बल्कि तुम हद से गुज़र जाने वाले लोग हो। (160-166)

उन्होंने कहा कि ऐ लूत, अगर तुम बाज़ न आए तो ज़रूर तुम निकाल दिए जाओगे। उसने कहा मैं तुम्हारे अमल से सख्त बेज़ार हूं। ऐ मेरे रब, तू मुझे और मेरे घर वालों को उनके अमल से नजात दे। पस हमने उसे और उसके सब घर वालों को बचा लिया। मगर एक बुढ़िया कि वह रहने वालों में रह गई। फिर हमने दूसरों को हलाक कर दिया। और हमने उन पर बरसाया एक मेंह | पस कैसा बुरा मेंह था जो उन पर बरसा जिन्हें डराया गया था। बेशक इसमें निशानी है। और उनमें से अक्सर मानने वाले नहीं। और बेशक तेरा रब वह ज़बरदस्त है, रहमत वाला है। (167-175)

ऐका वालों ने रसूलों को झुठलाया। जब शुऐब ने उनसे कहा क्‍या तुम डरते नहीं। मैं तुम्हारे लिए एक मोतबर (विश्वसनीय) रसूल हूं। पस अल्लाह से डरो और मेरी बात मानो। और मैं इस पर तुमसे कोई बदला नहीं मांगता। मेरा बदला ख़ुदावंद आलम के ज़िम्मे है। तुम लोग पूरा-पूरा नापो और नुक़्सान देने वालों में से न बनो। और सीधी तराज़ू से तोलो और लोगों को उनकी चीज़ें घटाकर न दो और ज़मीन में फ़लाद न फैलाओ। और उस ज़ात से डरो जिसने तुम्हें पैदा किया है और पिछली नस्‍्लों को भी। (176-184)

उन्होंने कहा कि तुम पर तो किसी ने जादू कर दिया है। और तुम हमारे ही जैसे एक आदमी हो। और हम तो तुम्हें झूठे लोगों में से ख्याल करते हैं। पस हमारे ऊपर आसमान से कोई टुकड़ा गिराओ अगर तुम सच्चे हो। शुऐेब ने कहा, मेरा रब ख़ूब जानता है जो कुछ तुम कर रहे हो। पस उन्होंने उसे झुठला दिया। फिर उन्हें बादल वाले दिन के अज़ाब ने पकड़ लिया। बेशक वह एक बड़े दिन का अज़ाब था। बेशक इसमें निशानी है और उनमें से अक्सर मानने वाले नहीं। और बेशक तुम्हारा रब ज़बरदस्त है, रहमत वाला है। (185-191)

और बेशक यह ख़ुदावंद आलम का उतारा हुआ कलाम है। इसे अमानतदार फ़रिश्ता लेकर उतरा है तुम्हारे दिल पर ताकि तुम डराने वालों में से बनो। साफ़ अरबी ज़बान में और इसका ज़िक्र अगले लोगों की किताबों में है और क्या उनके लिए यह निशानी नहीं है कि इसे बनी इस्राईल के उलमा (विद्वान) जानते हैं। (192-197) 

और अगर हम इसे किसी अजमी (गैर अरबी) पर उतारते फिर वह उन्हें पढ़कर सुनाता तो वे इस पर ईमान लाने वाले न बनते। इसी तरह हमने ईमान न लाने को मुजरिमों के दिलों में डाल रखा है। ये लोग ईमान न लाएंगे जब तक सख्त अज़ाब न देख लें। पस वह उन पर अचानक आ जाएगा और उन्हें ख़बर भी न होगी। फिर वे कहेंगे कि क्या हमें कुछ मोहलत मिल सकती है। (198-203)

क्या वे हमारे अज़ाब को जल्द मांग रहे हैं। बताओ कि अगर हम उन्हें चन्द साल तक फ़ायदा पहुंचाते रहें फिर उन पर वह चीज़ आ जाए जिससे उन्हें डराया जा रहा है तो यह फ़ायदामंदी उनके किस काम आएगी। और हमने किसी बस्ती को भी हलाक नहीं किया मगर उसके लिए डराने वाले थे याद दिलाने के लिए, और हम ज़ालिम नहीं हैं। और इसे शैतान लेकर नहीं उतरे हैं। न यह उनके लिए लायक़ है। और न वे ऐसा कर सकते हैं। वे इसे सुनने से रोक दिए गए हैं। (204-212)

पस तुम अल्लाह के साथ किसी दूसरे माबूद (पूज्य) को न पुकारो कि तुम भी सज़ा पाने वालों में से हो जाओ। और अपने क़रीबी रिश्तेदारों को डगओ। और उन लोगों के लिए अपने बाज़ू झुकाए रखो जो मोमिनीन में दाख़िल होकर तुम्हारी पैरवी करें। पस अगर वे तुम्हारी नाफ़रमानी करें तो कहो कि जो कुछ तुम कर रहे हो मैं उससे बरी हूं। और ज़बरदस्त और मेहरबान ख़ुदा पर भरोसा रखो। जो देखता है तुम्हें जबकि तुम उठते हो और तुम्हारी चलत-फिरत नमाज़ियों के साथ, बेशक वह सुनने वाला जानने वाला है। (213-220)

क्या मैं तुम्हें बताऊं कि शैतान किस पर उतरते हैं। वे हर झूठे गुनाहगार पर उतरते हैं। वे कान लगाते हैं और उनमें से अक्सर झूठे हैं। और शायरों के पीछे बेराह लोग चलते हैं। क्‍या तुम नहीं देखते कि वे हर वादी में भटकते हैं और वह कहते हैं जो वह करते नहीं। मगर जो लोग ईमान लाए और अच्छे काम किए और उन्होंने अल्लाह को बहुत याद किया और उन्होंने बदला लिया बाद इसके कि उन पर ज़ुल्म हुआ। और ज़ुल्म करने वालों को बहुत जल्द मालूम हो जाएगा कि उन्हें कैसी जगह लौटकर जाना है। (221-227)

सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

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