धर्मस्वामी विवेकानंद

स्वामी विवेकानंद के पत्र – भाग 3

“स्वामी विवेकानंद के पत्र – भाग 3” में पढ़ें स्वामी विवेकानंद जी के 59 पत्र हिंदी में। इन पत्रों में स्वामीजी के ओजस्वी विचारों और गहन चिंतन का पता लगता है। उनकी हर चिट्ठी पठनीय है। पढ़ें और मनन करें–

  1. कुमारी मेरी हेल को लिखित (31 अगस्त, 1894)
  2. हेल बहनों को कलकत्ता में (4 सितम्बर, 1894)
  3. श्री ल्यान लैण्ड्सवर्ग’ को लिखित (13 सितम्बर, 1894)
  4. कुमारी मेरी हेल को लिखित (13 सितम्बर, 1894)
  5. श्रीमती ओलि बुल को लिखित (19 सितम्बर, 1894)
  6. श्री आलासिंगा पेरुमल को लिखित (21 सितम्बर, 1894)
  7. श्री सिंगारावेलू मुदलियार को लिखित (21 सितम्बर, 1894)
  8. स्वामी रामकृष्णानन्द को लिखित (1894)
  9. अपने गुरुभाइयों को लिखित (1894)
  10. अपने गुरुभाइयों को लिखित (25 सितम्बर, 1894)
  11. श्रीमती ओलि बुल को लिखित (26 सितम्बर, 1894)
  12. ईसाबेल मैक्किंडली को लिखित (26 सितम्बर, 1894)
  13. श्री आलासिंगा पेरुमल को लिखित (27 सितम्बर, 1894)
  14. श्री आलासिंगा पेरुमल को लिखित (29 सितम्बर, 1894)
  15. श्री हरिदास बिहारीदास देसाई को लिखित (सितम्बर, 1894)
  16. स्वामी अभेदानन्द को लिखित (1894)
  17. स्वामी शिवानन्द को लिखित (1894)
  18. स्वामी ब्रह्मानन्द को लिखित (1894)
  19. कुमारी मेरी हेल को लिखित (1894)
  20. श्रीमती जार्ज डब्ल्यू. हेल को लिखित (अक्टूबर, 1894)
  21. स्वामी रामकृष्णानन्द को लिखित (22 अक्टूबर, 1894)
  22. श्री वहेमिया चंद को लिखित (23 अक्टूबर, 1894)
  23. कुमारी ईसाबेल मैक्किंडली को लिखित (26 अक्टूबर, 1894)
  24. श्री आलासिंगा पेरुमल को लिखित (27 अक्टूबर, 1894)
  25. श्रीमती ओलि बुल को लिखित (27 अक्टूबर, 1894)
  26. श्री लाला गोविन्द सहाय को लिखित (1894)
  27. श्री लाला गोविन्द सहाय को लिखित (1894)
  28. श्री हरिदास बिहारीदास देसाई को लिखित (15 नवम्बर, 1894)
  29. राजा प्यारी मोहन मुकर्जी को लिखित (18 नवम्बर, 1894)
  30. श्री आलासिंगा पेरुमल आदि मद्रासी शिष्यों को लिखित (19 नवम्बर, 1894)
  31. श्री हरिदास बिहारीदास देसाई को लिखित (नवम्बर, 1894)
  32. श्री आलासिंगा पेरुमल को लिखित (30 नवम्बर, 1894)
  33. श्री सिंगारावेलू मुदलियार को लिखित (30 नवम्बर, 1894)
  34. डॉ. नंजुन्दा राव को लिखित (30 नवम्बर, 1894)
  35. कुमारी मेरी हेल को लिखित (8 दिसम्बर, 1894)
  36. कुमारी मेरी हेल को लिखित (दिसम्बर, 1894)
  37. श्री आलसिंगा पेरूमल को लिखित (26 दिसम्बर, 1894)
  38. श्रीमती ओलि बुल को लिखित (28 दिसम्बर, 1894)
  39. स्वामी ब्रह्मानन्द को लिखित (1895)
  40. श्री जस्टिस सुब्रह्मण्य अय्यर को लिखित (3 जनवरी, 1895)
  41. श्रीमती ओलि बुल को लिखित (3 जनवरी, 1895)
  42. स्वामी ब्रह्मानन्द को लिखित (1895)
  43. श्री जी. जी. नरसिंहाचारियर को लिखित (11 जनवरी, 1895)
  44. श्री आलासिंगा पेरुमल को लिखित (12 जनवरी, 1895)
  45. श्रीमती ओलि बुल को लिखित (20 जनवरी, 1895)
  46. श्रीमती ओलि बुल को लिखित (24 जनवरी, 1895)
  47. कुमारी ईसाबेल मैक्किंडली को लिखित (24 जनवरी, 1895)
  48. कुमारी मेरी हेल को लिखित (1 फरवरी, 1895)
  49. श्री बैकुंठनाथ सान्याल को लिखित (9 फरवरी, 1895)
  50. श्रीमती ओलि बुल को लिखित (14 फरवरी, 1895)
  51. श्री आलासिंगा पेरुमल को लिखित (1895)
  52. कुमारी ईसाबेल मैक्किंडली को लिखित (25 फरवरी, 1895)
  53. श्री आलासिंगा पेरुमल को लिखित (6 मार्च, 1895)
  54. श्रीमती ओलि बुल को लिखित (21 मार्च, 1895)
  55. कुमारी ईसाबेल मैक्किंडली को लिखित (27 मार्च, 1895)
  56. स्वामी विवेकानंद –कुमारी ईसाबेल मैक्किंडली को लिखित (4 अप्रैल, 1895)
  57. श्री फ़्रांसिस लेगेट को लिखित (10 अप्रैल, 1895)
  58. स्वामी रामकृष्णानन्द को लिखित (11 अप्रैल, 1895)
  59. श्रीमती ओलि बुल को लिखित (11 अप्रैल, 1895)

“स्वामी विवेकानंद के पत्र – भाग 3” में स्वामी विवेकानन्द द्वारा लिखित अप्रैल 1895 तक की चिट्ठियाँ हैं। स्वामी जी का चिंतन और व्यक्तित्व बहुआयामी था। उनकी हर चिट्ठी किसी-न-किसी आयाम की गहराई से पड़ताल कर उसे उजागर करती है।

इससे आगे के पत्र पढ़ने के लिए कृपया यहाँ जाएँ – स्वामी विवेकानंद के पत्र – भाग 4

सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

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