स्वामी विवेकानंद के पत्र – हेल बहनों को लिखित (5 मई, 1895)
(स्वामी विवेकानंद का हेल बहनों को लिखा गया पत्र)
न्यूयार्क,
५ मई, १८९५
प्यारी बच्चियों,
मैंने जो आशा की थी, वही हुआ। यद्यपि प्रो० मैक्स मूलर ने हिन्दू धर्म पर अपनी सभी गण्य रचनाओं पर एक अपमानजनक मन्तव्य जोड़ा है, किन्तु मैंने हमेशा यह सोचा है कि अन्ततः उन्हें अवश्य ही पूर्ण सत्य के दर्शन होंगे। जितना शीघ्र हो सके, तुम उनकी अन्तिम पुस्तक ‘वेदान्तवाद’ की एक प्रति उपलब्ध करो। तुम समझ जाओगी कि उन्होने पुनर्जन्म के पूरे सिद्धान्त को आत्मसात कर लिया है। निश्चय ही तुम्हें समझने में कुछ कठिनाई नहीं होगी; क्योंकि अब तक मैं जो तुम्हें बतलाता रहा हूँ, उसका वह एक अंश भर है। कई स्थलों पर शिकागो के मेरे निबन्ध का भी तुम्हें आभास मिलेगा।
मुझे प्रसन्नता है कि उस वृद्ध पुरुष ने सत्य का दर्शन कर लिया है, क्योंकि आधुनिक अनुसन्धान और विज्ञान के युग में धर्म समझने का वही एकमात्र उपाय है। आशा हैं, तुम ‘टॉड का राजस्थान’ का आनन्द ले रही होंगी।
सस्नेह तुम्हारा भाई,
विवेकानन्द
पुनश्च – कुमारी मेरी कब बोस्टन आ रही है?
वि.