स्वामी विवेकानंद के पत्र – कुमारी अल्बर्टा स्टारगीज के प्रति उसकी 23 वर्षगाँठ पर लिखित (22 सितम्बर, 1900)
(स्वामी विवेकानंद का कुमारी अल्बर्टा स्टारगीज के प्रति उसकी 23 वर्षगाँठ पर लिखा गया पत्र)
पेरोस गइरी, ब्रीटानी,
फ़्रांस,
२२ सितम्बर, १९००
माँ का हृदय, वीर की इच्छा,
मधुरतम स्पर्श मृदुतम सुमनों का,
शक्ति और सौन्दर्य की सतत प्रभुता,
यज्ञ की अग्नि की ज्वलामय क्रीड़ा,
शक्ति जो पथ दिखलाती; प्रेम की अनुगामिनी जो
सुदूरगामी स्वप्न और व्यवहार में धीरज,
आत्मा में चिरन्तन श्रद्धा,
सबमें, लघु और गुरू में, दिव्य दृष्टि
ये सब और जितना मैं देखने में समर्थ, उतने से अधिक
आज ‘माँ’ प्रदान कर दें तुम्हें।
सस्नेह और साशीर्वाद तुम्हारा सदैव,
विवेकानन्द
प्रिय अल्बर्टा,
यह छोटी सी कविता तुम्हारे जन्म-दिन के उपलक्ष्य में है। यह अच्छी नहीं है, पर इसमें मेरा समस्त प्रेम निहित है। अतः मुझे विश्वास है, तुम इसे पसन्द करोगी।कृपया क्या तुम वहाँ पुस्तिका की एक एक प्रति मादाम बेसनार्ड को क्लेरोई, ब्रेस कम्पेन, ओआइस के पते पर भेज दोगी?
तुम्हारा शुभचिन्तक,
विवेकानन्द