स्वामी विवेकानंद के पत्र – कुमारी ईसाबेल मैक्किंडली को लिखित (24 जनवरी, 1895)
(स्वामी विवेकानंद का कुमारी ईसाबेल मैक्किंडली को लिखा गया पत्र)
५२८, ५वाँ एवेन्यू, न्यूयार्क,
२४ जनवरी, १८९५
प्रिय कुमारी बेल,
आशा है, तुम अच्छी हो…
पुरुषों ने मेरे पिछले व्याख्यान की बहुत प्रशसा नहीं की, किन्तु स्रियों ने उसे आशातीत रूप से पसन्द किया। तुम जानती हो कि ब्रुकलिन स्त्री-अधिकारों के आन्दोलन के प्रतिकूल विचारों का केन्द्र है; और जब मैंने कहा कि स्त्रियाँ योग्य होती हैं और प्रत्येक काम के लिए उपयुक्त हैं, तो निश्चय ही यह लोगों को पसन्द नहीं आया होगा। कोई बात नहीं, स्रियाँ तो विभोर थीं।
मुझे पुनः थोड़ी सर्दी हो गयी है। मैं गर्नसी लोगों के पास जा रहा हूँ। शहर में मुझे एक कमरा मिल गया है, जहाँ मैं क्लास लेने कई घंटे जाया करूँगा। मदर चर्च अब बिल्कुल ठीक हो गयी होंगी और तुम लोग इस सुखद मौसम का आनन्द ले रही होंगी। जब तुम अगली बार श्रीमती एडम्स से मिलो, तब उन्हें मेरी और से पर्वत परिमाण प्रेम और आदर देना।
पूर्ववत् गर्नसी के पते पर मेरे पत्रों को भेज दो। सबों को प्यार,
तुम्हारा सदा स्नेही भाई,
विवेकानन्द