स्वामी विवेकानंद

स्वामी विवेकानंद के पत्र – कुमारी जोसेफिन मैक्लिऑड को लिखित (20 जुलाई, 1900)

(स्वामी विवेकानंद का कुमारी जोसेफिन मैक्लिऑड को लिखा गया पत्र)

१०२ पूर्व ५८वीं स्ट्रीट,
न्यूयार्क,
२० जुलाई, १९००

प्रिय जो,

शायद यह पत्र तुमको मिलने के पहले ही मैं यूरोप – लन्दन या पेरिस – स्टीमर के आने का जैसा भी क्रम हो, पहुँच चुका होऊँगा।

यहाँ का काम मैंने सब व्यवस्थित कर डाला है। श्री ह्विटमार्श के परामर्श के अनुसार सब काम कुमारी वाल्डो के हाथ में दे दिया गया है।

मुझे भाड़े का प्रबन्ध करना और चल देना है। शेष सब जगन्माता जानती हैं।

मेरी ‘अभिन्न’ मित्र अभी प्रबन्ध नहीं कर पायी हैं। वे मुझे लिखती हैं कि अगस्त में किसी समय वे आ सकेंगी, और कि वे एक हिन्दू को देखने के लिए तरस रही हैं और उनकी आत्मा भारत माता के लिए लालायित है।

मैंने उन्हें लिख दिया है कि शायद मैं उनसे लन्दन में मिल सकूँ। यह भी जगन्माता ही जानती हैं। श्रीमती हंटिग्टन ने मार्गट को प्यार भेजा है। यदि वह अपने वैज्ञानिक प्रदर्शनों में अत्यधिक व्यस्त न हों, तो वे उससे पत्र पाने की आशा रखती हैं।

तुम्हें, भारत की ‘पवित्र गऊ’, लेगेट-परिवार तथा अमेरिकन रबर के पौधे कुमारी

– (क्या है उनका नाम?) को मेरा प्यार।

चिर प्रभुपदाश्रित तुम्हारा,
विवेकानन्द

सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

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