स्वामी विवेकानंद

स्वामी विवेकानंद के पत्र – कुमारी मेरी हेल को लिखित (18 मार्च, 1894)

(स्वामी विवेकानंद का कुमारी मेरी हेल को लिखा गया पत्र)

डिट्राएट,
१८ मार्च, १८९४

प्रिय बहन मेरी,

कलकत्ता के पत्र को मेरे पास भेजने के लिए तुम्हें मेरा हार्दिक धन्यवाद। यह कलकत्ता के मेरे गुरुभाइयों द्वारा भेजा गया था और यह मेरे गुरुदेव के जन्म-महोत्सव को मनाने के लिए व्यक्तिगत निमन्त्रण के अवसर पर लिखा गया था – जिनके विषय में तुमने मुझसे बहुत कुछ सुना है, अतः इस पत्र को फिर से तुम्हारे पास लौटा रहा हूँ। पत्र में लिखा है कि मजूमदार कलकत्ता लौट आया है और यह प्रचार कर रहा है कि विवेकानन्द अमेरिका में विश्व के समस्त पाप कर रहा है।

… यही तुम्हारे अमेरिका का ‘अद्भुत आध्यात्मिक पुरुष’ है! यह उनका दोष नहीं है; जब तक कोई वास्तव में आध्यात्मिक न हो जाय, अर्थात् जब तक किसीको आत्मस्वरूप में वास्तविक अन्तर्दृष्टि नहीं प्राप्त हो जाती और आत्मा के जगत् की एक झाँकी नहीं मिल जाती, तब तक वह बीज को भूसे से, गहराई को थोथी बातों से पृथक् नहीं कर सकता। मुझे बेचारे मजूमदार के लिए अफसोस है कि वह इतना नीचे उतर आया। प्रभु उसका भला करें।

पत्र के भीतर का पता अंग्रेजी में है, और उसमें मेरा पुराना नाम है, जिसे मेरी बाल्यावस्था के एक मित्र ने लिखा है, जिसने संन्यास ले लिया है। यह एक कवित्वमय नाम है। पत्र में लिखा हुआ नाम संक्षिप्त रूप में है, पूरा नाम नरेन्द्र है, जिसका अर्थ है ‘मनुष्यों का स्वामी’ (‘नर’ का अर्थ होता है मनुष्य, और ‘इन्द्र’ का तात्पर्य शासक, स्वामी से है)। यह बहुत ही हास्यकर है, है न? लेकिन मेरे देश में ऐसे ही नाम होते हैं; हम विवश हैं; लेकिन मुझे खुशी है कि मैंने इसे छोड़ दिया।

मैं ठीक हूँ, आशा है, तुम ठीक होगी।

तुम्हारा भाई,
विवेकानन्द

सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हिंदी पथ
error: यह सामग्री सुरक्षित है !!
Exit mobile version