स्वामी विवेकानंद

स्वामी विवेकानंद के पत्र – श्रीमती ओलि बुल को लिखित (12 मार्च, 1900)

(स्वामी विवेकानंद का श्रीमती ओलि बुल को लिखा गया पत्र)

१७१९, टर्क स्ट्रीट,
सैन फ़्रांसिस्को,
१२ मार्च, १९००

प्रिय धीरा माता,

केम्ब्रिज से लिखा हुआ आपका पत्र कल मुझे मिला। अब मेरा एक स्थायी पता हो गया है –

१७१९, टर्क स्ट्रीट, सैन फ़्रांसिस्को। मै आशा करता हूँ कि इस पत्र के जवाब में दो पंक्ति लिखने का आपको अवकाश मिलेगा।

आपकी भेजी हूई एक पाण्डुलिपि मुझे प्राप्त हुई थी। आपके अभिप्रायनुसार उसे मैं वापस भेज चुका हूँ। इसके अलावा मेरे समीप और कोई हिसाब नहीं है। सब कुछ ठीक ही है। लन्दन से कुमारी सूटर ने मुझे एक अच्छा पत्र लिखा है। उनको आशा है कि श्री ट्राईन उनके साथ रात में भोजन करेंगे।

निवेदिता की अर्थ-संग्रह विषयक सफलता के समाचार से मुझे अत्यन्त ख़ुशी हुई। मैंने उसे आपके हाथ सौंप दिया है और मुझे यह निश्चित विश्वास है कि आप उसकी देखभाल करेंगी। मैं यहाँ पर कुछ एक सप्ताह और हूँ; उसके बाद पूर्व की ओर जाऊँगा। केवल ठंड कम होने की प्रतीक्षा मैं कर रहा हूँ।

आर्थिक दृष्टि से मुझे यहाँ कुछ भी सफलता प्राप्त नहीं हुई है; फिर भी किसी प्रकार का अभाव भी नहीं है। अस्तु, यह ठीक है कि आवश्यकतानुसार मेरा कार्य चलता जा रहा है; और यदि न चले तो किया ही क्या जा सकता है? मैंने पूर्णतः आत्मसमर्पण कर दिया है।

मठ से मुझे एक पत्र मिला है। कल उनका उत्सव सम्पन्न हो चुका है। प्रशान्त महासागर होकर मैं जाना नहीं चाहता। कहाँ जाना है अथवा कब जाना है – यह मैं एकबार भी नहीं सोचता। मैं तो पूर्णतया समर्पित हो चुका हूँ – ‘माँ’ ही सब कुछ जानती हैं! मेरे अन्दर एक विराट् परिवर्तन की सूचना दिखायी दे रही है-मेरा मन शान्ति से परिपूर्ण होता जा रहा है। मैं जानता हूँ कि ‘माँ’ ही सब कुछ उत्तरदायित्व ग्रहण करेंगी। मैं एक संन्यासी के रूप में ही मृत्यु का आलिंगन करूँगा। आपने मेरे एवं मेरे स्वजनों के हेतु माँ से भी अधिक कार्य किया है। आप मेरा असीम स्नेह ग्रहण करें, आपका चिर-मंगल हो – यही विवेकानन्द की सतत प्रार्थना है।

पुनश्च – कृपया श्रीमती लेगेट को यह सूचित करें कि कुछ सप्ताह के लिए मेरा पता – १७१९ टर्क स्ट्रीट, सैन फ़्रांसिस्को होगा।

सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

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