स्वामी विवेकानंद के पत्र – श्रीमती ओलि बुल को लिखित (15 दिसम्बर, 1900)
(स्वामी विवेकानंद का श्रीमती ओलि बुल को लिखा गया पत्र)
बेलूड़ मठ,
हावड़ा, बंगाल, भारत,
१५ दिसम्बर, १९००
माँ,
तीन दिन पहले मैं यहाँ पहँचा हूँ। यहाँ मेरा आगमन बिल्कुल अप्रत्याशित था और सब लोग बड़े विस्मित हुए।
यहाँ काम की प्रगति मेरी अनुपस्थिति में जितनी मुझे आशा थी, उससे कहीं अधिक हुई है। केवल श्री सेवियर अब नहीं रहे। उनकी मृत्यु निश्चय ही एक जबरदस्त चोट थी और मैं नहीं जानता कि हिमालय के कार्य का अब क्या भविष्य है। मैं प्रतिदिन श्रीमती सेवियर के पत्र की प्रतीक्षा करता हूँ, जो अब भी वहाँ है।
आप कैसी हैं? कहाँ हैं? मुझे आशा है मेरा मामला यहाँ शीघ्र ही व्यवस्थित हो जायगा और मैं उसके लिए भरसक प्रयत्न भी कर रहा हूँ।
जो रुपया आप मेरी बहन को भेजती रही हैं, उसे अब यहाँ मेरे नाम से बिल बनाकर सीधे मेरे पास भेज दिया करें। मैं भुनाकर रूपया उसे भेज दिया करूँगा। यह अच्छा है कि रूपया उसे मेरे मार्फ़त मिले।
सारदानन्द और ब्रह्मानन्द काफी स्वस्थ हैं और इस वर्ष मलेरिया यहाँ बहुत कम है। नदी-तट की यह पतली पट्टी मलेरिया से हमेशा मुक्त रहती है। पर जब हमें यहाँ प्रचुर शुद्ध जल मिल सकेगा, तभी यहाँ की दशा में पूर्ण सुधार होगा।
आपका,
विवेकानन्द