स्वामी विवेकानंद

स्वामी विवेकानंद के पत्र – श्रीमती ओलि बुल को लिखित (30 मई, 1896)

(स्वामी विवेकानंद का श्रीमती ओलि बुल को लिखा गया पत्र)

६३, सेन्ट जार्जेस रोड, लन्दन,
३० मई, १८९६

प्रिय श्रीमती बुल,

… परसों प्रोफेसर मैक्स मूलर से मेरी बड़ी अच्छी मुलाकात हुई। वे संत जैसे हैं और सत्तर वर्ष के होने के बावजूद युवक की तरह दिखते हैं और उनके चेहरे पर एक भी झुर्री नहीं है। काश, उनके भारत और वेदान्त के प्रति प्रेम का अर्द्धांश भी मुझे मिलता! साथ ही वे योग में भी रुचि लेते हैं तथा उसमें विश्वास करते हैं। केवल वे बकवादियों को बिल्कुल नापसन्द करते हैं।

सर्वोपरि, रामकृष्ण परमहंस के प्रति उनकी श्रद्धा अगाध है, और उन्होंने ‘नाइन्टीन्थ सेन्चुरी’ में उन पर एक लेख लिखा था। उन्होंने मुझसे पूछा, “आप संसार भर में उनके नाम-प्रचार के लिए क्या कर रहे हैं? रामकृष्ण ने वर्षों तक उन्हें मोहा है। क्या यह शुभ संवाद नहीं?…

धीरे किन्तु स्थिरता से यहाँ कार्य चल रहा है। अगले रविवार से मैं अपने साधारण भाषण प्रारम्भ करने जा रहा हूँ।

सदा कृतज्ञ, सस्नेह आपका,
विवेकानन्द

सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

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