स्वामी विवेकानंद के पत्र – श्रीमती ओलि बुल को लिखित (7 जून, 1895)
(स्वामी विवेकानंद का श्रीमती ओलि बुल को लिखा गया पत्र)
पर्सी, न्यू हैम्पशायर,
७ जून, १८९५
प्रिय श्रीमती बुल,
आख़िर में मैं यहाँ पर श्री लेगेट के साथ हूँ। मुझे अपने जीवन में जितने सुन्दर से सुन्दर स्थान देखने को मिले हैं, यह स्थान उनमें से एक है। कल्पना कीजिए कि चारों ओर एक विशाल जंगल से आच्छादित पर्वतश्रेणियों के बीच में एक झील है – जहाँ हम लोगों के सिवा और कोई भी नहीं है। कितना मनोरम, निस्तब्ध तथा शान्तिपूर्ण! शहर के कोलाहल के बाद मुझे यहाँ पर कितना आनन्द मिल रहा है, इसका अन्दाजा आप सहज ही में लगा सकती हैं।
यहाँ आकर मानो मुझे फिर नवीन जीवन प्राप्त हुआ है। मैं अकेला जंगल में जाता हूँ, गीता-पाठ करता हूँ तथा पूर्णतया सुखी हूँ। करीब दस दिन के अन्दर इस स्थान को छोड़कर मुझे ‘सहस्रद्वीपोद्यान’ जाना है। वहाँ कुछ दिन एकान्त में रहकर भगवान् का ध्यान करने का विचार है। इस प्रकार की कल्पना ही मन को उन्नत बना देती है।
भवदीय,
विवेकानन्द