स्वामी विवेकानंद के पत्र – श्रीमती ओलि बुल को लिखित (मई, 1895)
(स्वामी विवेकानंद का श्रीमती ओलि बुल को लिखा गया पत्र)
५४ पश्चिम ३३ वाँ रास्ता,
न्यूयार्क,
मई १८९५, बृह्स्पतिवार
प्रिय श्रीमती बुल,
कुमारी थर्सबी को कल मैं २५ पौण्ड दे चुका हूँ। कक्षाएं चल तो रही हैं, किन्तु दुःख के साथ यह लिखना पड़ता है कि यद्यपि उनमें विद्यार्थियों की संख्या अधिक है, फिर भी उनसे जो कुछ मिलता है, उससे मकान का किराया तक भी पूरा नहीं होता है। इस हफ़्ते और कोशिश कर देखना है, नहीं तो छोड़ दूँगा।
मैं इसी ग्रीष्म ऋतु में ‘सहस्रद्वीपोद्यान’ में अपनी एक छात्रा कुमारी डचर के यहाँ जा रहा हूँ। भारत से वेदान्त के विभिन्न भाष्य मेरे पास भेजे जा रहे हैं। इसी ग्रीष्म ऋतु में वहाँ रहकर वेदान्त दर्शन की विभिन्न तीन प्रणालियों पर अंग्रेजी में एक ग्रन्थ लिखने का मेरा विचार है; तदनन्तर ग्रीनेकर जा सकता हूँ।
कुमारी फार्मर चाहती हैं कि इस ग्रीष्म ऋतु में मैं वहाँ भाषण करूँ। मैं यह निर्णय नहीं कर सका हूँ कि इसके उत्तर में मैं क्या लिखूँ। आशा है कि आप किसी तरह से विषय को टाल देंगी – इस विषय में मैं पूर्णतया आप पर निर्भर हूँ।
प्रेस समिति (Press Association) के लिए ‘अमरत्व’ (immortality) पर लेख लिखने में इस समय मैं अत्यन्त व्यस्त हूँ।
आपका,
विवेकानन्द