स्वामी विवेकानंद

स्वामी विवेकानंद के पत्र – श्री बलराम बसु को लिखित (30 दिसम्बर, 1889)

(स्वामी विवेकानंद का श्री बलराम बसु को लिखा गया पत्र)
रामकृष्णो जयति

इलाहाबाद,
३० दिसम्बर, १८८९

पूज्यपाद,

आते समय गुप्त एक चिट्ठी छोड़ गया था और दूसरे दिन मुझे योगानन्द के पत्र से सारी बातें मालूम हुईं। मैंने तत्काल ही इलाहाबाद के लिए प्रस्थान किया और दूसरे दिन यहाँ पहुँच गया। योगानन्द अब पूर्णरूपेण ठीक हो गया है। उसे छोटी चेचक हो गयी थी।

चेचक के एक-दो दाग अभी भी हैं। डॉक्टर पवित्रात्मा व्यक्ति हैं और उनका एक संघ जैसा है, जिसके सभी लोग बड़े धार्मिक हैं और साधु-संतों की सेवा में लगे रहते हैं। वे लोग आग्रह कर रहे हैं कि मैं माघ का मास यहीं बिताऊँ, पर मैं तो वाराणसी जा रहा हूँ। गोलाप माँ, योगीन माँ यहाँ कल्पवास करेंगीं; शायद निरंजन भी यहाँ रहेगा; योगानन्द क्या करेगा, मैं नहीं जानता। आप कैसे हैं?

आपके तथा आपके परिवार के मंगल के लिए मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूँ। कृपया तुलसीराम, चुनी बाबू तथा और सबको मेरा अभिवादन कहें।

आपका,
नरेन्द्रनाथ

सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

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