स्वामी विवेकानंद के पत्र – श्री ई. टी. स्टर्डी को लिखित (29 दिसम्बर, 1895)
(स्वामी विवेकानंद का श्री ई. टी. स्टर्डी को लिखा गया पत्र)
रिजले मॅनर,
२९ दिसम्बर, १८९५
प्रिय मित्र,
अब तक तुम्हें भाषण की प्रतियाँ मिल गयी होंगी। आशा है, वे कुछ उपयोग की होंगी।
मैं समझता हूँ, आरम्भ में बहुत सारी कठिनाईयों पर विजय पानी होगी; दूसरे, वे सोचते हैं कि वे किसी काम के योग्य नहीं हैं – यह एक राष्ट्रीय रोग है; तीसरा, कि वे सर्दी का सामना एकाएक करने से डरते हैं। वे ऐसा नहीं सोचते कि तिब्बत का आदमी इंग्लैण्ड में काम करने में सुदृढ़ है। कोई भी शीघ्र या विलम्ब से आयेगा।
‘सत्’ में तुम्हारा ही,
विवेकानन्द
पुनश्च – क्रिसमस के अवसर पर सभी मित्रों को अनेक अभिनन्दन – श्रीमती और श्रीमान् जॉन्सन, महिला मरगसेन, श्रीमती क्लार्क, कुमारी ह्वो, कुमारी मूलर, कुमारी स्टील तथा अन्य सभी को – मेरा अभिनन्दन।
बच्ची को मेरी ओर से चुम्बन और शुभाशीष। श्रीमती स्टर्डी को मेरा अभिनन्दन। हम लोग सभी काम करेंगे। ‘वाह गुरु की फतह।’
विवेकानन्द