स्वामी विवेकानंद

स्वामी विवेकानंद के पत्र – श्री एच० एफ० लेगेट को लिखित (17 अप्रैल, 1900)

(स्वामी विवेकानंद का श्री एच० एफ० लेगेट लिखा गया पत्र)

१७ अप्रैल, १९००

प्रिय श्री लेगेट,

इस पत्र के साथ ही मैं निष्पादित की हुई वसीयत भेज रहा हूँ। यह उनकी इच्छानुसार ही निष्पादित की गयी है। और, जैसा कि मेरे लिए उचित ही है, मैं आपसे प्रार्थना करूँगा कि इसे आप अपने संरक्षण में लेने की कृपा करें।

आप और आपके परिवारवाले सब समान रूप से मेरे प्रति कृपालु रहे हैं। किन्तु आप तो जानते ही हैं, प्रिय मित्र, यह मनुष्य का स्वभाव है कि जब उसे कोई वस्तु कहीं से मिलने लगती है, तब वह उसकी और भी माँग करता है।

मैं तो मनुष्य ही हूँ – आपका बच्चा।

मुझे अत्यंत दुःख है कि ए – ने गड़बड़ी पैदा की। वह कभी कभी ऐसा किया करता है, या ऐसा करने की उसकी आदत है। और अधिक परेशानी न उठ खड़ी हो, इस भय से मैं कोई दखल देने का साहस नहीं करता। जब तक यह पत्र आप तक पहुँचेगा, मैं सैन फ़्रांसिस्को से चल पड़ा होऊँगा। क्या आप कृपया भारत से आयी मेरी डाक मार्फ़त श्रीमती हाल अथवा मार्गट, १० एस्टर स्ट्रीट, शिकागो के पते से भेज देंगे? मार्गट ने मुझे, अपने स्कूल को आपकी एक हजार डालर की भेंट के विषय में अत्यंत कृतज्ञ भाव से लिखा है।

आप और आपके परिवार ने मेरे और मेरे स्वजनों के प्रति जो बराबर कृपा बरती है, उसके लिए आपका सदा-सर्वदा कल्याण हो, यही मेरी सतत कामना है।

सस्नेह आपका,
विवेकानन्द

पुनश्च – मुझे यह सुनकर बहुत ख़ुशी है कि श्रीमती लेगेट अच्छी हो गयी हैं।

वि.

सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

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