स्वामी विवेकानंद

स्वामी विवेकानंद के पत्र – श्री फ़्रांसिस लेगेट को लिखित (10 अप्रैल, 1895)

(स्वामी विवेकानंद का श्री फ़्रांसिस लेगेट को लिखा गया पत्र)

न्यूयार्क,
१० अप्रैल, १८९५

प्रिय मित्र,

आपने मुझे अपने गाँव में निमन्त्रित किया है, इसके लिए मैं अपनी कृतज्ञता व्यक्त करने में असमर्थ हूँ। एक गलतफहमी के कारण कल आना मेरे लिए सम्भव नहीं। कल, ४० पश्चिम, ९वीं स्ट्रीट में कुमारी एण्ड्र्यूज के यहाँ मेरा क्लास है। कुमारी मैक्लिऑड के कथनानुसार मैंने यह समझा था कि कल क्लास स्थगित किया जा सकता है। मुझे खुशी हुई थी। किन्तु, अब ऐसा लगता है कि कुमारी मैक्लिऑड ने गलत समझा था। कुमारी एण्ड्र्यूज ने आकर बतलाया कि कल किसी भी हालत में क्लास स्थगित नहीं किया जा सकता और क्लास में सम्मिलित होने वाले ५०-६० सदस्यों को सूचना भी नहीं दी जा सकती।

ऐसी हालत में मुझे हार्दिक दुःख है, मैं आने में असमर्थ हूँ। आशा है, कुमारी मैक्लिऑड और श्रीमती स्टारगीज इस अपरिहार्य स्थिति को समझेंगी और अन्यथा नहीं लेंगी।

परसों, अथवा आपकी सुविधा के अनुसार अन्य किसी दिन मैं सहर्ष आने को तैयार हूँ।

आपका चिर विश्वासपात्र,
विवेकानन्द

सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

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