स्वामी विवेकानंद के पत्र – श्री जगमोहन लाल को लिखित (11 अक्टूबर, 1897)
(स्वामी विवेकानंद का श्री जगमोहन लाल को लिखा गया पत्र)
मरी,
११ अक्टूबर, १८९७
प्रिय जगमोहन लाल,
तुम बम्बई जाने के पहले, जिन तीन संन्यासियों को जयपुर भेज रहा हूँ, उनकी समुचित देखभाल के लिए किसी से कह दो। उनके भोजन और आवास की अच्छी व्यवस्था करवा दो। मेरे आने तक वे जयपुर में ही रहेंगे। वे बड़े विद्वान् नहीं, किन्तु निरीह प्राणी हैं। वे मेरे अपने है और उनमें से एक तो मेरा गुरुभाई ही है। यदि वे चाहें तो उन्हें खेतड़ी ले जाना – जहाँ मैं शीघ्र ही पहुँचने वाला हूँ। मैं अभी चुपचाप यात्रा कर रहा हूँ। मैं इस वर्ष ज्यादा व्याख्यान भी नहीं दूँगा। अब इस शोरगुल और पाखंड में मेरी आस्था नहीं रह गयी है, इससे कोई लाभ नहीं होता। कलकत्ते में अपनी संस्था आरम्भ करने के लिए मैं अपना मूक प्रयत्न अवश्य करता रहूँगा। इसी उद्देश्य से मैं चुपचाप विभिन्न केन्द्रों में कोष जमा करने जा रहा हूँ।
साशीष तुम्हारा,
विवेकानन्द