स्वामी विवेकानंद के पत्र – श्री लाला गोविन्द सहाय को लिखित (30 अप्रैल, 1891)
(स्वामी विवेकानंद का श्री लाला गोविन्द सहाय को लिखा गया पत्र)
आबू पर्वत,
३० अप्रैल, १८९१
प्रिय गोविन्द सहाय,
उस ब्राह्मण बालक का उपनयन-संस्कार क्या तुम करा चुके? क्या संस्कृत पढ़ रहे हो? कितनी प्रगति हुई है? आशा है कि प्रथम भाग तो अवश्य ही समाप्त कर चुके होगे।…तुम्हारी शिव-पूजा तो अच्छी तरह से चल रही होगी? यदि नहीं, तो करने का प्रयास करो! ‘तुम लोग पहले भगवान् के राज्य का अन्वेषण करो, ऐसा करने पर सब कुछ स्वतः ही प्राप्त कर सकोगे।’1 भगवान् का अनुसरण करने पर तुम जो कुछ चाहोगे, वह मिल जायेगा।…दोनों कमाण्डर साहबों को मेरी आन्तरिक श्रद्धा निवेदन करना; उच्च पदाधिकारी होते हुए भी मुझ जैसे गरीब फकीर के साथ उन दोनों ने अत्यन्त सदय व्यवहार किया। बच्चों, धर्म का रहस्य आचरण से जाना जा सकता है, व्यर्थ के मतवादों से नहीं। सच्चा बनना तथा सच्चा बर्ताव करना, इसमें ही समग्र धर्म निहित है। “जो केवल ‘प्रभु, प्रभु’ की रट लगाता है, वह नहीं, किन्तु जो उस परम पिता के इच्छानुसार कार्य करता है” – वही धार्मिक है।2अलवरनिवासी युवकों, तुम लोग जितने भी हो, सभी योग्य हो और मैं आशा करता हूँ कि तुममें से अनेक व्यक्ति अविलम्ब ही समाज के भूषण तथा जन्मभूमि के कल्याण के कारण बन सकेंगे।
आशीर्वादक
विवेकानन्द
पुनश्च – यदि कभी-कभी तुमको संसार का थोड़ा-बहुत धक्का भी खाना पड़े, तो उससे विचलित न होना, मुहूर्त भर में वह दूर हो जायेगा तथा सारी स्थिति पुनः ठीक हो जायेगी।
- ‘Seek ye fi rst the Kingdom of God and all good things will be added unto you.’
- ‘‘Not he that crieth ‘Lord’ ‘Lord’, but he that doeth the will of the Father.’’