स्वामी विवेकानंद

स्वामी विवेकानंद के पत्र – श्री प्रमदादास मित्र को लिखित (13 फरवरी, 1890)

(स्वामी विवेकानंद का श्री प्रमदादास मित्र को लिखा गया पत्र)
ईश्वरो जयति

गाजीपुर,
१३ फरवरी, १८९०

पूज्यपाद,

आपकी शारीरिक अस्वस्थता के समाचार से चिन्तित हूँ। मेरी भी कमर में एक प्रकार का दर्द बना हुआ है, हाल में वह दर्द बहुत बढ़ गया है एवं कष्ट दे रहा है। दो दिन से बाबाजी के पास नहीं जा सका, इसलिए उनके यहाँ से एक व्यक्ति मेरा समाचार लेने आया था – अतः आज जाऊँगा। उनसे आपके असंख्य प्रणाम निवेदन करूँगा। उनके मुख से अग्नि के समान ज्वलंत वाणी निकलती है – अत्यन्त अद्भुत, गूढ़ भक्ति तथा आत्म-समर्पण की बातें निकलती हैं – ऐसी अद्भुत तितिक्षा तथा विनम्रता मैंने कहीं भी नहीं देखी। यदि किसी अद्भुत वस्तु की प्राप्ति हुई, तो उसमें आपका हिस्सा अवश्य होगा। किमधिकमिति।

आपका,
नरेन्द्र

सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हिंदी पथ
error: यह सामग्री सुरक्षित है !!
Exit mobile version