स्वामी विवेकानंद

स्वामी विवेकानंद के पत्र – श्री प्रमदादास मित्र को लिखित (20 अगस्त, 1888)

(स्वामी विवेकानंद का श्री प्रमदादास मित्र को लिखा गया पत्र)
श्री दुर्गाशरणम्

वृन्दावन,
२० अगस्त, १८८८

महाशय,

मेरे एक वयोवृद्ध गुरुभाई, जो केदारनाथ और बदरीनाथ की यात्रा करके अभी वृन्दावन लौटे हैं, गंगाधर1 से मिले। गंगाधर तिब्बत और भूटान दो बार हो आया है। वह बड़ा सुखी है और परस्पर मिलकर आनन्दोल्लास से रो पड़ा। उसने कनखल में जाड़े के दिन बिताये। जो कमण्डलु आपने उसे दिया था, वह उसके पास अभी भी है। वह लौट आ रहा है और इसी महीने में वृन्दावन पहुँचनेवाला है। अतएव उससे मुलाकात करने की आशा में मैंने अपना हरिद्वार जाना कुछ दिनों के लिए स्थगित कर दिया है। शिवजी के उस ब्राह्मण भक्त से, जो आपके साथ रहता है, मेरा प्रणाम कहें एवं आप भी मेरा प्रणाम ग्रहण करें।

आपका
नरेन्द्रनाथ


  1. स्वामी विवेकानन्द के गुरुभाई, स्वामी अखण्डानन्द।

सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

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