स्वामी विवेकानंद

स्वामी विवेकानंद के पत्र – श्री प्रमदादास मित्र को लिखित (21 मार्च, 1889)

(स्वामी विवेकानंद का श्री प्रमदादास मित्र को लिखा गया पत्र)

बागबाजार,
कलकत्ता,
२१ मार्च, १८८९

पूज्यपाद,

कई दिन पहले आपका पिछला पत्र मिला था। देर से उत्तर देने के लिए क्षमा कीजिएगा, जो कुछ विशेष कारणों से हो गयी। इस समय मैं बहुत बीमार हूँ। कभी-कभी बुखार हो जाता है लेकिन प्लीहा या किसी अन्य अंग में कोई गड़बड़ी नहीं है। मैं होमियोपैथिक चिकित्सा करा रहा हूँ। वाराणसी जाने का विचार मैंने अब पूर्णतया त्याग दिया है। शारीरिक अवस्था के अनुसार अब ईश्वर जो चाहेगा, वह बाद में होगा। अगर भाई ज्ञानानन्द से आपकी भेंट हो तो उनसे बता दीजिएगा कि वे मेरी प्रतीक्षा में वहाँ न रुकें। वहाँ मेरा जाना बहुत ही अनिश्चित है। ज्ञानानन्द एवं आपको मेरी श्रद्धा।

आपका,
नरेन्द्रनाथ

सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

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