स्वामी विवेकानंद के पत्र – श्री प्रमदादास मित्र को लिखित (4 जून, 1890)
(स्वामी विवेकानंद का श्री प्रमदादास मित्र को लिखा गया पत्र)
बागबाजार,
कलकत्ता,
४ जून, १८९०
पूज्यपाद,
आपका पत्र मिला। इसमें कोई सन्देह नहीं कि आपकी राय बहुत ही बुद्धिमत्तापूर्ण है। यह सत्य है कि ईश्वर की इच्छा होकर रहेगी। दो या तीन की टुकड़ियों में हम लोग भी इधर-उधर जा रहे हैं। भाई गंगाधर के भी दो पत्र मुझे मिले। इस समय वह गगन बाबू के घर पर है, और इन्फ्लुएंजा से पीड़ित है। गगन बाबू उसका विशेष ध्यान रख रहे हैं। स्वस्थ होते ही वह वहाँ आ जायेगा । आपको हमारा सादर प्रणाम।
आपका,
नरेन्द्र
पुनश्च – अभेदानन्द और सभी लोग सानन्द हैं। न.