स्वामी विवेकानंद

स्वामी विवेकानंद के पत्र – स्वामी अभेदानन्द को लिखित (2 अप्रैल, 1890)

(स्वामी विवेकानंद का श्री स्वामी अभेदानन्द को लिखा गया पत्र)
ॐ नमो भगवते रामकृष्णाय

गाजीपुर,
२ अप्रैल, १८९०

भाई काली,

प्रमदा बाबू तथा बाबूराम के पत्र के साथ तुम्हारा पत्र मिला। मैं यहाँ पर एक प्रकार से ठीक ही हूँ। तुम मुझसे मिलने के लिए इच्छुक हो। मेरी भी तुमसे मिलने की प्रबल इच्छा है, इसी कारण मैं नहीं जा पाता हूँ – साथ ही बाबाजी भी मना करते हैं। दो-चार दिन के लिए उनसे आज्ञा लेकर मैं तुमसे मिलने का प्रयास करूँगा।

किन्तु डर इस बात का है कि ऐसा करने पर तुम हृषीकेशी प्रथा के अनुसार मुझे एकदम पहाड़ पर चढ़ा लोगे – फिर मेरे लिए अलग होना कठिन हो जायेगा, खासकर मुझ जैसे दुर्बल के लिए। कमर का दर्द भी किसी तरह ठीक नहीं हो पाता – बड़ी बला है। धीरे-धीरे अभ्यस्त होता जा रहा हूँ। प्रमदा बाबू से मेरा कोटि-कोटि प्रणाम कहना। मेरी शारीरिक तथा मानसिक उन्नति के लिए वे अत्यन्त हितकारी मित्र हैं, उनका मैं बहुत ही ऋणी हूँ। जो कुछ होना है, होगा। इति।

शुभाकांक्षी,
नरेन्द्र

सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हिंदी पथ
error: यह सामग्री सुरक्षित है !!
Exit mobile version