स्वामी विवेकानंद के पत्र – भगिनी निवेदिता को लिखित (20 मई, 1898)
(स्वामी विवेकानंद का भगिनी निवेदिता को लिखा गया पत्र)
अल्मोड़ा,
२० मई, १८९८
प्रिय नोबल,
… कर्तव्य का अन्त नहीं है; संसार भी नितान्त स्वार्थपर है।
तुम दुःखी न हो; न हि कल्याणकृत्कश्चित् दुगर्तिं तात गच्छति – शुभ कार्य करने वाला कोई भी व्यक्ति दुर्गति को प्राप्त नहीं होता।
सदैव तुम्हारा,
विवेकानन्द