स्वामी विवेकानंद

स्वामी विवेकानंद के पत्र – भगिनी निवेदिता को लिखित (3 नवम्बर, 1897)

(स्वामी विवेकानंद का भगिनी निवेदिता को लिखा गया पत्र)

जम्मू,
३ नवम्बर, १८९७

प्रिय कुमारी नोबल,

… अधिक भावुकता कार्य में बाधा पहुँचाती है; वज्रादपि कठोराणि मृदूनि कुसुमादपि – यह हमारा मन्त्र होना चाहिए।

मैं शीघ्र ही स्टर्डी को पत्र दूँगा। उसने तुमसे यह ठीक ही कहा है कि आपत्ति पड़ने पर मैं तुम्हारे समीप रहूँगा। भारत में यदि मुझे एक रोटी का टुकड़ा भी मिले तो तुम्हें उसका समग्र अंश प्राप्त होगा – यह तुम निश्चित जानना। कल मैं लाहौर जा रहा हूँ; वहाँ पहुँचकर स्टर्डी को पत्र लिखूँगा। काश्मीर महाराज की ओर से कुछ जमीन प्राप्त होने की आशा है, तदर्थ मैं गत १५ दिनों से यहाँ पर हूँ। यदि मुझे यहाँ रहना पड़ा तो आगामी गर्मी के दिनों में पुनः काश्मीर जाने का विचार है एवं वहाँ पर कुछ कार्य प्रारम्भ करने की अभिलाषा है।

मेरा असीम स्नेह ग्रहण करना।

तुम्हारा,
विवेकानन्द

सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

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