स्वामी विवेकानंद के पत्र – स्वामी ब्रह्मानन्द को लिखित (11 नवम्बर, 1897)
(स्वामी विवेकानंद का स्वामी ब्रह्मानन्द को लिखा गया पत्र)
अभिन्नहृदय,
लाहौर,
११ नवम्बर, १८९७
लाहौर में व्याख्यान किसी तरह समाप्त हो गया। दो-एक दिन के अन्दर देहरादून रवाना होना है। तुम लोगों की असम्मति तथा और भी अनेक बाधाओं के कारण सिन्ध यात्रा इस समय मैंने स्थगित कर दी है। विलायत से आयी हुई मेरी दो चिट्ठियों को किसी ने रास्ते में खोला है। अतः अब मुझे पत्रादि न भेजना। खेतड़ी से जब मैं पत्र दूँ, तब भेजना। यदि तुम उड़ीसा जाना चाहो तो इस प्रकार की व्यवस्था करके जाना कि जिससे कोई व्यक्ति तुम्हारा प्रतिनिधि होकर समस्त कार्यों का संचालन कर सके – जैसे कि हरि (स्वामी तुरीयानन्द) यह कार्य कर सकता है। इस समय मैं प्रतिदिन खासकर अमेरिका से पत्रादि की प्रतीक्षा कर रहा हूँ।
शायद वह वसीयतनामा जो हरि एवं शरत् के नाम करना था अब तैयार हो गया है।
एक समिति स्थापित कर सदानन्द तथा सुधीर को यहाँ छोड़ जाने की इच्छा है। इस बार व्याख्यान नहीं देना है – एकदम सीधा राजपूताना जा रहा हूँ। मठ स्थापित किए बिना और कुछ नहीं करना है। नियमित व्यायाम के बिना शरीर कभी ठीक नहीं रहता है, अधिक बातें करने के फलस्वरूप ही बीमार हो जाता हूँ – यह निश्चित जानना। सबसे मेरा प्यार कहना। इति।
सस्नेह तुम्हारा,
विवेकानन्द