स्वामी विवेकानंद के पत्र – स्वामी ब्रह्मानन्द को लिखित (12 अक्टूबर, 1897)
(स्वामी विवेकानंद का स्वामी ब्रह्मानन्द को लिखा गया पत्र)
मरी,
१२ अक्टूबर, १८९७
अभिन्नहृदय,
कल मैं तुमको विस्तृत पत्र लिख चुका हूँ। कोई कोई विषयों में विशेष निर्देश देना आवश्यक समझता हूँ।… (१) जो लोग धन एकत्र कर भेजेंगे… उसका प्राप्तिस्वीकार मठ से होना चाहिए। (२) रसीद की दो प्रतियाँ होनी चाहिए – एक प्रति उसे दी जायगी और दूसरी प्रति मठ में रहेगी। (३) एक बड़े रजिस्टर में धन एकत्र करने वालों के नाम तथा पते लिपिबद्ध कर रखने होगे। (४) मठ के कोष में जो रुपये जमा होंगे, उनके पैसे-पैसे का हिसाब रखना आवश्यक होगा और सारदा तथा अन्यों को जो दिया जा रहा है, उनसे उसका पूरा हिसाब लेना होगा। हिसाब न रहने के कारण मुझे चोर न बनना पड़े। बाद में उस हिसाब को छपाकर प्रकाशित करना होगा। (५) तुरन्त एक वकील के पास जाकर उसकी राय से यह वसीयतनामा लिख दो कि मेरे तथा तुम्हारे मरणोपरान्त हरि एवं शरत् मठ की सम्पत्ति के अधिकारी होंगे।
अम्बाला से हरिप्रसन्न आदि के पहुँचने का अभी तक कोई समाचार प्राप्त नहीं हुआ है। दूसरा पत्र मास्टर महाशय को दे देना। इति।
सस्नेह तुम्हारा,
विवेकानन्द