स्वामी विवेकानंद के पत्र – स्वामी ब्रह्मानन्द को लिखित (2 सितम्बर, 1897)
(स्वामी विवेकानंद का स्वामी ब्रह्मानन्द को लिखा गया पत्र)
अमृतसर,
२ सितम्बर, १८९७
अभिन्नहृदय,
योगेन ने एक पत्र में बागबाजार वाले घर को २०,००० रु. में खरीद लेने के लिए मुझे लिखा है। यदि हम उस मकान को खरीद भी लेते हैं तो भी बहुत सी दिक्कतें होंगी। जैसे उसके कुछ भाग को हमें गिराना पड़ेगा और इसके बैठने वाले कमरे का एक बड़ा कमरा बनाना होगा, तथा इसी तरह के और भी परिवर्तन, और मरम्मत करनी होगी। साथ ही, मकान बहुत पुराना एवं जीर्ण है। फिर भी गिरीश बाबू एवं अतुल से राय-मशविरा करके जैसा ठीक समझना, करना। आज मैं अपनी पूरी पार्टी के साथ दो बजे वाली ट्रेन से काश्मीर के लिए रवाना हो रहा हूँ। हाल में धर्मशाला पहाड़ियों पर के प्रवास से मेरे स्वास्थ्य में काफी सुधार हुआ है, एवं टांसिल, बुखार आदि बिल्कुल गायब हो गए हैं।
तुम्हारे एक पत्र से मैं सब समाचारों से अवगत हुआ। निरंजन, लाटू, कृष्णलाल, दीननाथ, गुप्त एवं अच्युत, सभी लोग मेरे साथ काश्मीर जा रहे हैं।
मद्रास के जिन सज्जन ने अकाल पीड़ितों की सहायता के लिए १,५०० रु. का दान दिया था, वे हिसाब जानना चाहते हैं कि रुपया किस तरह खर्च किया गया। उनको उसका हिसाब भेज देना। हम लोग अच्छे ही हैं।
सस्नेह त्वदीय,
विवेकानन्द
पुनश्च – मठ के सभी लोगों से मेरा स्नेह सूचित करना।
वि.