स्वामी विवेकानंद

स्वामी विवेकानंद के पत्र – स्वामी ब्रह्मानन्द को लिखित (20 मई, 1898)

(स्वामी विवेकानंद का स्वामी ब्रह्मानन्द लिखा गया पत्र)

अल्मोड़ा,
२० मई, १८९८

अभिन्नहृदय,

तुम्हारे पत्र से सब समाचार विदित हुए; तुम्हारे ‘तार’ का जवाब पहले ही दे चुका हूँ। निरंजन तथा शाह गोविन्दलाल काठगोदाम में योगेन-माँ के लिए प्रतीक्षा करेंगे। मेरे नैनीताल पहुँचने पर किसी का कहना न मानते हुए घोड़े पर सवार होकर बाबूराम यहाँ से नैनीताल पहुँचा एवं वहाँ से लौटने के दिन भी हमारे साथ घोड़े पर सवार होकर ही वह लौटा है। डण्डी पर चढ़कर आने के कारण मैं पीछे रह गया था। रात में जब मैं डाकबँगले पहुँचा, तब पता लगा कि बाबूराम पुनः घोड़े से गिर गया था एवं उसके हाथ में चोट लगी है – यद्यपि हड्डी नहीं टूटी है। मेरे फटकारने के भय से वह देशी डाकबँगले में ठहरा है; क्योंकि उसके गिर जाने के कारण कुमारी मैक्लिऑड ने उसे अपनी डण्डी देकर और स्वयं घोड़े पर सवार होकर लौटी है। उस रात्रि में उससे मेरी भेंट नहीं हुई। दूसरे दिन जब मैं उसके लिए डण्डी की व्यवस्था कर रहा था, तब पता लगा कि वह पैदल ही चला गया है। तब से उसका और कोई समाचार नहीं मिला है। दो-एक जगह ‘तार’ दे चुका हूँ, किन्तु कोई समाचार प्राप्त नहीं हुआ है। सम्भवतः किसी गाँव में वह ठहरा होगा। वह अच्छी बात नहीं है! ऐसे लोग केवल परेशानी ही बढ़ाते हैं। योगेन-माँ के लिए डण्डी की व्यवस्था रहेगी; किन्तु और लोगों को पैदल चलना होगा।

मेरा स्वास्थ्य पहले की अपेक्षा बहुत कुछ अच्छा है। किन्तु डिस्पेप्सिया (बदहजमी) अभी दूर नहीं हुआ है एवं नींद न आने की शिकायत भी दिखायी देने लगी है। यदि डिस्पेप्सिया की कोई लाभप्रद आयुर्वेदिक दवा तुम भेज सको तो अच्छा है।

वहाँ पर इस समय जो दो-एक ‘केस’ (रोग का आक्रमण) हो रहे हैं, उनकी उचित व्यवस्था के लिए सरकारी प्लेग-अस्पताल में पर्याप्त स्थान है और प्रति मुहल्ले में अस्पताल खोलने की चर्चा चल रही है। इन बातों की ओर ध्यान रखकर जैसा उचित समझो व्यवस्था करना। किन्तु बागबाजार में कौन क्या कह रहा है, इस पर ध्यान देने की आवश्यकता नहीं है, उसे जनता का मत नहीं मान बैठना।… जरूरत के समय अभाव नहीं होना चाहिए; साथ ही धन का अपव्यय न हो – यह ख्याल रखकर कार्य करना। बहुत सोच-समझकर रघुवीर के नाम से रामलाल के लिए इस समय कोई जगह खरीद देना। परमाराध्या माताजी एवं उनके बाद रामलाल, फिर शिबू उनका उत्तराधिकारी सेवक बनेगा, अथवा तुम जैसा उचित समझो वैसी व्यवस्था करना। यदि इस समय मकान का कार्य प्रारम्भ करना तुम्हारी राय में ठीक प्रतीत हो तो शुरू कर देना। क्योंकि नये बने हुए मकान में नमी होने के कारण एक-दो माह तक न रहना ही उचित है।… दीवाल का कार्य पीछे होता रहेगा। पत्रिका के लिए अर्थ-संग्रह की चेष्टा हो रही है, १२०० रु. पत्रिका के लिए मैंने जो भेजे हैं, उनको उसी कार्य के लिए रख देना।

यहाँ पर और सब लोग सकुशल हैं। कल सदानन्द के पैर में मोच आ गयी। उसका कहना है कि शाम तक यह ठीक हो जायगी। इस बार अल्मोड़ा की जलवायु अत्यन्त सुन्दर है। साथ ही सेवियर ने जो बँगला लिया है, अल्मोड़ा में उसे उत्कृष्ट माना जाता है। दूसरी ओर चक्रवर्ती के साथ एनी बेसेण्ट एक छोटे बँगले में है। चक्रवर्ती इस समय गगन (गाजीपुर) का जमाई है। मैं एक दिन मिलने गया था। एनी बेसेण्ट ने मुझसे अत्यन्त विनम्रता के साथ कहा कि मेरे सम्प्रदाय के साथ उनके सम्प्रदाय की संसारभर में सर्वत्र प्रीति बनी रहनी चाहिए। आज चाय पीने के लिए बेसेण्ट की यहाँ आने की बात हैं। हमारे साथ की महिलाएँ निकट ही एक दूसरे छोटे बँगले में हैं और वे कुशलपूर्वक हैं। केवल आज कुमारी मैक्लिऑड कुछ अस्वस्थ हो गयी है। हैरि सेवियर दिनोंदिन साधु बनता जा रहा है।… तुम हरिभाई का नमस्कार तथा सदानन्द, अजय एवं सुरेन्द्र का प्रणाम जानना। मेरा प्यार ग्रहण करना तथा सबसे कहना। इति।

सस्नेह तुम्हारा,
विवेकानन्द

पुनश्च – सुशील से मेरा प्यार कहना तथा कन्हाई इत्यादि सभी को मेरा प्यार।

वि.

सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

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