स्वामी विवेकानंद के पत्र – स्वामी ब्रह्मानन्द को लिखित (21 फरवरी, 1902)
(स्वामी विवेकानंद का स्वामी ब्रह्मानन्द को लिखा गया पत्र)
गोपाल लाल विला,
वाराणसी छावनी,
२१ फरवरी, १९०२
प्रिय राखाल,
अभी अभी मुझे तुम्हारा एक पत्र मिला। अगर माँ और दादी यहाँ आने को इच्छुक हैं, तो उन्हें भेज दो। जब कलकत्ते में ताऊन फैला हुआ है, तो वहाँ से दूर रहना ही अच्छा है। इलाहाबाद में भी व्यापक रूप से ताऊन का प्रकोप है; नहीं जानता कि इस बार वाराणसी में भी फैलेगा या नहीं…
मेरी ओर से श्रीमती बुल से कहो कि एलोरा तथा अन्य स्थानों का भ्रमण करने के लिए एक कठिन यात्रा करनी होती है, जब कि इस समय मौसम बहुत गर्म हो गया है। उनका शरीर इतना क्लान्त है कि इस समय यात्रा करना उनके लिए उचित नहीं। कई दिन हुए मुझे ‘चाचा’ का एक पत्र मिला था। उनकी अंतिम सूचना के अनुसार वे अजंता गये हुए थे। महन्त ने भी उत्तर नही दिया, शायद वे राजा प्यारीमोहन को पत्रोत्तर देते समय मुझे लिखेंगे।…
नेपाल के मंत्री के मामले के बारे में मुझे विस्तार से लिखो। श्रीमती बुल, कुमारी मैक्लिऑड तथा अन्य लोगों से मेरा विशेष प्यार तथा आशीर्वाद कहना। तुम्हें, बाबूराम और अन्य लोगों को मेरा प्यार तथा आशीर्वाद। क्या गोपाल दादा को पत्र मिल गया? कृपया उनकी बकरी की थोड़ी देखभाल करते रहना।
सस्नेह,
विवेकानन्द
पुनश्च – यहाँ के सब लड़के तुम्हें अभिवादन करते हैं।