स्वामी विवेकानंद के पत्र – स्वामी शिवानन्द को लिखित (27 दिसम्बर, 1897)
(स्वामी विवेकानंद का स्वामी शिवानन्द को लिखा गया पत्र)
जयपुर,
२७ दिसम्बर, १८९७
प्रिय शिवानन्द,
बम्बई के गिरगाँव निवासी श्री शेतलूर ने, जिनके साथ मद्रास में रहते समय तुम्हारा घनिष्ठ परिचय हुआ था, अफ्रीका में रहने वाले भारतवासियों के आध्यात्मिक अभाव को दूर करने के निमित्त किसी को वहाँ भेजने के लिए लिखा है। यह निश्चित है कि वे ही उस मनोनीत व्यक्ति को अफ्रीका भेजेंगे एवं उसका समस्त व्यय-भार स्वयं ग्रहण करेंगे।
इस समय यह कार्य नितान्त सरल अथवा झंझट रहित प्रतीत नहीं होता है। किन्तु सत्पुरुषों को इस कार्य के लिए अग्रसर होना उचित है। तुम जानते हो कि वहाँ पर श्वेत जातियाँ भारतीय प्रवासियों को बिल्कुल ही पसन्द नहीं करतीं। वहाँ का कार्य है – भारतीयों का जिससे भला हो, वह करना; किन्तु यह कार्य इतना सावधान एवं शान्त चित्त होकर करना होगा कि जिससे नवीन किसी झगड़े की सृष्टि न होने पावे। कार्य प्रारम्भ करने के साथ ही साथ फल-प्राप्ति की कोई सम्भावना नहीं है; किन्तु इसमें सन्देह नहीं कि आगे चलकर आज तक भारत के कल्याण के लिए जितने भी कार्य किए गए हैं, उन समस्त कार्यों की अपेक्षा इसमें अधिक फल प्राप्त होगा। मेरी इच्छा है कि तुम एक बार इस कार्य में अपने भाग्य की परीक्षा करो। यदि इसमें तुम्हारी सम्मति हो तो इस पत्र का उल्लेख कर शेतलूर को तुम अपना अभिप्राय सूचित करना तथा अन्यान्य समाचार पूछना। शिवा वः सन्तु पन्थानः। मेरा शरीर पूर्ण स्वस्थ नहीं है; किन्तु शीघ्र ही मैं कलकत्ता रवाना हो रहा हूँ, एवं शरीर भी ठीक हो जायगा। इति।
भगवत्पदाश्रित,
विवेकानन्द