स्वामी विवेकानंद के पत्र – स्वामी तुरीयानन्द को लिखित
(स्वामी विवेकानंद का स्वामी तुरीयानन्द को लिखा गया पत्र)
भाई हरि,
तुम्हारे पाँव की हड्डी जुड़ गयी है, यह जानकर ख़ुशी हुई एवं तुम अच्छी तरह से कार्य कर रहे हो, यह समाचार भी मुझे मिला है।… मेरा शरीर ठीक ही चल रहा है। असली बात यह है कि शरीर की ओर अधिक ध्यान देने से ही रोग दिखायी देता है। मैं स्वयं रसोई बना रहा हूँ, मनचाहा भोजन कर रहा हूँ, दिन-रात परिश्रम कर रहा हूँ और ठीक हूँ; नींद की भी कोई शिकायत नहीं है, पर्याप्त मात्रा में नींद आती है।
एक माह के अन्दर मैं न्यूयार्क जा रहा हूँ। सारदा की पत्रिका क्या बन्द हो चुकी है? मुझे तो उसकी प्रतियाँ नहीं मिल रही हैं। Awakened (प्रबुद्ध भारत) भी क्या सो गया है! मुझे तो मिल नहीं रहा है। अस्तु, देश में प्लेग फैल रहा है, पता नहीं कि कौन जीवित है और कौन नहीं। राम की माया है!! सुनो, ‘अचू’ का आज एक पत्र आया है। वह शिकार राज्य के रामगढ़ कस्बे में छिपा हुआ था। किसीने कहा है कि विवेकानन्द मर चुका है। इसलिए उसने मुझे पत्र लिखा है!! आज उसे जवाब भेज रहा हूँ।
यहाँ सब कुछ ठीक है। अपना तथा उसका कुशल समाचार लिखना। इति।
दास,
विवेकानन्द