गाँव कौं चलौ
ब्रज भाषा में रचित यह कविता अपने गाँव की यादों को सहेजती कविता है। गाँव की तरफ़ वापसी का आह्वान अपने आप में सिहरन पैदा कर देता है।
Read Moreब्रज भाषा में रचित यह कविता अपने गाँव की यादों को सहेजती कविता है। गाँव की तरफ़ वापसी का आह्वान अपने आप में सिहरन पैदा कर देता है।
Read Moreयह स्व. श्री नवल सिंह भदौरिया “नवल” द्वारा ब्रज भाषा में केला देवी को समर्पित कविता है। कैला देवी की बृज में बहुत मान्यता है।
Read Moreयह स्व. श्री नवल सिंह भदौरिया “नवल” द्वारा ब्रज भाषा में रचित वर्षा ऋतु का वर्णन करती बहुत सुंदर कविता है।
Read Moreहोरी (लोकगीत) स्व. श्री नवल सिंह भदौरिया “नवल” द्वारा ब्रज भाषा में रचित होली पर्व को समर्पित कविता है। आनंद लें होरी (लोकगीत) काव्य का।
Read More“पावस” स्व. श्री नवल सिंह भदौरिया “नवल” द्वारा ब्रज भाषा में रचित बारिश का वर्णन करती बहुत ही सुंदर कविता है। पढ़ें व आनन्द लें।
Read More“बसंत” स्व श्री नवल सिंह भदौरिया “नवल” द्वारा ब्रज भाषा में रचित बसंत ऋतु को समर्पित कविता है।
Read More“माँ काली” स्व श्री नवल सिंह भदौरिया “नवल” द्वारा ब्रज भाषा में रचित माँ काली को समर्पित कविता है।
Read More