Devi Chitralekhaji

धर्म

गोपी गीत – जयति तेऽधिकं जन्मना – Jayati Te Dhikam Janmana Lyrics

जयति तेऽधिकं जन्मना व्रजःश्रयत इन्दिरा शश्वदत्र हि ।दयित दृश्यतां दिक्षु तावकास्त्वयि धृतासवस्त्वां विचिन्वते ॥1॥ शरदुदाशये साधुजातसत्स-रसिजोदरश्रीमुषा दृशा ।सुरतनाथ तेऽशुल्कदासिकावरद निघ्नतो

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