ज्ञानयोग पर प्रवचन – स्वामी विवेकानंद
“ज्ञानयोग पर प्रवचन” स्वामी विवेकानंद जी ने अमरीका में रहते समय दिये थे जो उनकी एक शिष्या कुमारी एस्. ई. वाल्डो ने लिपिबद्ध कर लिये थे।
Read More“ज्ञानयोग पर प्रवचन” स्वामी विवेकानंद जी ने अमरीका में रहते समय दिये थे जो उनकी एक शिष्या कुमारी एस्. ई. वाल्डो ने लिपिबद्ध कर लिये थे।
Read More“ज्ञानसाधना” नामक इस अध्याय में स्वामी विवेकानंद ज्ञान विकसित करने के साधनों पर चर्चा कर रहे हैं। पढ़ें और ज्ञान योग पर अपनी समझ विकसित करें।
Read More“ज्ञानयोग पर नवम प्रवचन” में स्वामी विवेकानंद आत्मा की अभिव्यक्ति की सीमाओं और ज्ञान-प्राप्ति के मार्ग की चर्चा कर रहे हैं।
Read More“ज्ञानयोग पर अष्टम प्रवचन” में स्वामी विवेकानंद बताते हैं, कैसे व्यक्ति सुख-दुःख से परे जा सकता है और आपने स्वरूप का साक्षात्कार कर सकता है।
Read More“ज्ञानयोग पर सप्तम प्रवचन” में स्वामी विवेकानंद आत्मा के स्वरूप की व्याख्या कर रहे हैं। साथ ही वे ज्ञानकांड की शिक्षाओं को समझाते हैं।
Read More“ज्ञानयोग पर षष्ठ प्रवचन” में स्वामी विवेकानंद ज्ञान प्राप्ति प्रक्रिया में विचार के महत्व पर प्रकाश डाल रहे हैं।
Read More“ज्ञानयोग पर पंचम प्रवचन” में स्वामी विवेकानंद आत्म-साक्षात्कार को गहराई से समझाते हैं। इसमें विभिन्न स्तर की अभिव्यक्तियों की भी चर्चा है।
Read More“ज्ञानयोग पर चतुर्थ प्रवचन” में स्वामी विवेकानंद ने अद्वैतवाद के अनुसार सत्य की कसौटी पर विचार किया है। अवश्य पढ़ें और मनन करें।
Read More“ज्ञानयोग पर तृतीय प्रवचन” में स्वामी विवेकानंद त्याग का अर्थ समझाते हैं। साथ ही वे ज्ञानयोगी के लक्षणों पर चर्चा कर रहे हैं।
Read More“ज्ञानयोग पर द्वितीय प्रवचन” में विवेकानंद वेदांत के सिद्धांतों की व्याख्या कर रहे हैं। वे सिद्धांतों के तार्किक पक्ष की विवेचना करते हैं।
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