Naval Singh Bhadauria

कविता

हथकड़ियाँ टूट चुकीं (26 जनवरी 1951)

“हथकड़िया टूट चुकी” स्व. श्री नवल सिंह भदौरिया की हिंदी रचित कविता है। इसमें सुंदर शब्दों में देशप्रेम और राष्ट्र-निर्माण भावना का वर्णन है।

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कविता

तुम जो भी गीत उजाले का गाओ कम है

“तुम जो भी गीत उजाले का गाओ कम है” स्व. श्री नवल सिंह भदौरिया की हिंदी कविता है। इसमें जीवन में सर्वत्र सकारात्मकता फैलाने का संदेश है।

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कविता

दीप जलाओ तो

“दीप जलाओ तो” स्व. श्री नवल सिंह भदौरिया ‘नवल’ द्वारा रचित हिंदी कविता है। यह कविता साथ मिलकर हर तरह के अंधेरे को मिटाने का आह्वान करती है।

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कविता

क्रान्तिकारी सुभाष (श्री सुभाष जयन्ती (23 जनवरी-1973)

“क्रान्तिकारी सुभाष” स्व. श्री नवल सिंह भदौरिया की हिंदी कविता है। यह महान क्रांतिकारी सुभाषचंद्र बोस को उनके जन्म-दिवस पर समर्पित की गयी है।

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कविता

हस्ती मेरे वतन की

“हस्ती मेरे वतन की” स्व. श्री नवल सिंह भदौरिया की हिंदी कविता है। इसमें देशप्रेम के रस में डुबाकर देश के मूल स्वरूप को दर्शाया गया है।

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कविता

जनतंत्र जवान हो गया (26 जनवरी 1986)

“जनतंत्र जवान हो गया” स्व. श्री नवल सिंह भदौरिया की हिंदी कविता है। इसमें संविधान लागू होने के 20 वर्ष होने पर आयी परिपक्वता का वर्णन है।

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कविता

आजादी पाई (26 जनवरी 1961)

“आजादी पाई” स्व. श्री नवल सिंह भदौरिया की हिंदी कविता है। इसमें संविधान के माध्यम से सच्ची स्वतंत्रता पाने का सुंदर वर्णन है।

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कविता

दर्द ने मुझे पुकारा है (15 अगस्त 1980)

“दर्द ने मुझे पुकारा है” स्व. श्री नवल सिंह भदौरिया की हिंदी रचित कविता है। इसमें अपनों के हाथों देश ने जो धोखा खाया, उसका वर्णन है।

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कविता

सौ-सौ नमन करो (15 अगस्त 1972)

“सौ-सौ नमन करो” स्व. श्री नवल सिंह भदौरिया की हिंदी कविता है। इसमें स्वतंत्रता के लिए सर्वस्व न्यौछावर करने वालों के प्रति कृतज्ञता झलकती है।

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कविता

वर्षगाँठ आजादी की (15 अगस्त 1970)

“वर्षगाँठ आजादी की” स्व. श्री नवल सिंह भदौरिया ‘नवल’ द्वारा हिंदी खड़ी बोली में रचित कविता है। इसमें आज़ादी का मूल्य समझाने की चेष्टा झलकती है।

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