Naval Singh Bhadauria

कविता

जौहर दिखलाओ

“जौहर दिखलाओ” स्व. श्री नवल सिंह भदौरिया की हिंदी कविता है। यह पाकिस्तान आक्रमण के समय की रचना है। इसमें देशवासियों से वीरता का आह्वान है।

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कविता

मंगलमय त्यौहार (स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त 1964)

“मंगलमय त्यौहार” स्व. श्री नवल सिंह भदौरिया की हिंदी कविता है। इसमें आज़ादी की क़ीमत पहचानने और भारत को आगे बढ़ाने की अपील परिलक्षित होती है।

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कविता

सूरज चमका (राष्ट्र पर्व 15 अगस्त 1963)

“सूरज चमका” स्व. श्री नवल सिंह भदौरिया की हिंदी कविता है। इसमें चीन युद्ध में मिली हार की चर्चा और फलस्वरूप जागने का आवाहन है।

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कविता

लिखो नया इतिहास (राष्ट्र पर्व 15 अगस्त 1960)

“लिखो नया इतिहास” स्व. श्री नवल सिंह भदौरिया ‘नवल’ द्वारा हिंदी खड़ी बोली में रचित कविता है। इसमें देश के पुनर्निमाण का आह्वान झलकता है।

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कविता

स्वतंत्रता की कीमत (राष्ट्र पर्व 15 अगस्त 1960)

“स्वतंत्रता की कीमत” स्व. श्री नवल सिंह भदौरिया की हिंदी कविता है। इसमें आज़ादी का मूल्य पहचानने और तदनुरूप व्यवहार का आह्वान किया गया है।

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कविता

राष्ट्र पर्व (15 अगस्त 1959)

“राष्ट्र पर्व” स्व. श्री नवल सिंह भदौरिया की हिंदी कविता है। आज़ादी के बाद की विसंगतियों की चर्चा इस कविता में की गयी है। अवश्य पढ़ें।

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कविता

इतिहास नया बनने को है (15 अगस्त 1958)

“इतिहास नया बनने को है” स्व. श्री नवल सिंह भदौरिया की हिंदी खड़ी बोली की कविता है। इसमें देशवासियों को बाधाएँ पार कर आगे बढ़ने का संदेश है।

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कविता

सभ्य हो जायेंगे

“सभ्य हो जायेंगे” स्व. श्री नवल सिंह भदौरिया की हिंदी खड़ी बोली में रचित कविता है। इस कविता में सभ्यता के स्वरूप और दशा का चित्रण है।

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कविता

आजादी का आदि पर्व (15 अगस्त 1947)

“आजादी का आदि पर्व” स्व. श्री नवल सिंह भदौरिया हिंदी खड़ी बोली में रचित कविता है। इस कविता की एक-एक पंक्ति देशभक्ति का जज़्बा जगाती है।

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