तेजोमहालय शिव मंदिर है “ताज महल”
Taj Mahal Is Originally Tejomahalay Shiva Mandir In Hindi By P.N. Oak
आइए नज़र डालते हैं श्री पी.एन. ओक द्वारा चिह्नित कुछ बिंदुओं पर, जिनके अनुसार ताजमहल कोई कब्र नहीं, बल्कि भगवान शिव को समर्पित तेजोमहालय नामक एक मंदिर है। लेखक के मुताबिक़ जहाँ आज कब्र है, वहाँ शिवलिंग हुआ करता था।
दृष्टिपात करते हैं ऐसे ही कुछ बिंदुओं पर। ताजमहल के रहस्य से संबंधित अन्य तथ्य जानने व किताब के दूसरे अध्याय पढ़ने के लिए कृपया यहाँ जाएँ – ताज महल का रहस्य: ताजमहल है हिंदू मंदिर।
- ताजमहल नाम का उल्लेख औरंगज़ेब तक के किसी भी तवारीखों में या दरबारी दस्तावेज़ों में कहीं भी नहीं मिलता है।
- इसे ताज-ए-महल याने महलों का ताज कहने का प्रयास करना हास्यास्पद है, क्योंकि यह तो इस्लामी कब्र है। कब्र को कभी महल नहीं कहा जाता।
- इसका अन्तिम पद ‘महल’ इस्लामी शब्द ही नहीं है, क्योंकि अफ़ग़ानिस्तान से लेकर अलजीरिया तक फैले विस्तृत इस्लामी प्रदेशों में ‘महल’ नाम की एक भी इमारत नहीं है।
- सामान्य धारणा यह है कि इसमें दफ़नाई महिला मुमताज़ महल के नामानुसार इसका नाम ताज महल रखा गया है। यह दो दृष्टियों से असंगत है। एक बात तो यह है कि शाहजहाँ की उस पत्नी का नाम मुमताज महल नहीं अपितु मुमताज़-उल-जमानी या अर्जुमंद बानो था द्वितीयत: मुमताज़ की स्मृति में बने उस भवन को नामांकित करते समय दो आद्य अक्षर ‘मुम्’ उड़ा देना हास्यास्पद है। एक महिला के नाम के आरम्भ के दो अक्षर हटाकर शेष हिस्सा इमारत का नाम बनता है, यह किस व्याकरण का नियम है?
- फिर भी उस महिला का नाम मुमताज़ होने के कारण यदि उससे इमारत का नाम पड़ता तो वह इमारत ताज़महल कहलाती, न कि ताजमहल।
- शाहजहाँ के समय भारत में आए हुए यूरोप के कई पर्यटकों ने इस भवन का उल्लेख ताज-ए-महल नाम से किया है, जो शिव मंदिर सूचित करने वाले संस्कृत शब्द तेजोमहालय का बिगड़ा रूप है। स्वयं मुग़ल बादशाह शाहजहाँ और औरंगज़ेब के दरबारी दस्तावेज़ों में या तत्कालीन तवारीखों में ताजमहल शब्द का उल्लेख भी नहीं है, क्योंकि तेजोमहालय उर्फ़ ताजमहल संस्कृत शब्द है।
- कब्र का अर्थ विशाल इमारत नहीं अपितु केवल इमारत के अन्दर स्थित मृतक के शव पर बना टीला होता है। इससे पाठकों को ज्ञात होगा कि हुमायूँ, अकबर, मुमताज़, एतमाद्-उद्-दौला, सफ़दरजंग आदि व्यक्ति हिन्दुओं से कब्ज़ा किये हुए विशाल भवनों में ही
दफ़नाए गये हैं। - यदि ताजमहल मकबरा होता तो उसे महल नहीं कहा जाता, क्योंकि महल में तो सजीव व्यक्ति ही रहते हैं।
- चूँकि ताजमहल का उल्लेख शाहजहाँ तथा औरंगज़ेब-कालीन किसी भी मुग़ली लेखों में नहीं है, ताजमहल के निर्माण का श्रेय शाहजहाँ को देना उचित नहीं। उन्होंने ताज महल शब्द का उल्लेख जान-बूझकर इसलिए टाल दिया है क्योंकि वह मूलत: तेजोमहालय ऐसा पवित्र हिन्दू संस्कृत शब्द है।
- ताजमहल संस्कृत शब्द तेजोमहालय यानि शिव मंदिर का अपभ्रंश होने से पता चलता है कि अग्रेश्वर महादेव अर्थात् अग्रनगर के नाथ ईश्वर शंकर जी को यहाँ स्थापित किया गया है।
- शाहजहाँ के पूर्व समय से जब ताज एक शिव मंदिर था तब से ही जूते खोलकर अन्दर प्रवेश करने की परम्परा आज भी मौजूद है। यदि यह भवन मकबरा ही होता तो इसमें प्रवेश करते समय जूते उतार देने की आवश्यकता ही नहीं पड़ती, बल्कि कब्रस्तान में तो जूते पहनना आवश्यक होता है।
- पर्यटक देख सकते हैं कि संगमरमरी तहखानों में बनी मुमताज के कब्र की आधारशिला सादी सफेद है, जबकि पड़ोस की शाहजहाँ की कब्र और ऊपरले मंज़िल में बनी शाहजहाँ-मुमताज़ की कब्र पर हरे बेल-बूटे जड़े हैं। इससे निष्कर्ष यह निकलता है कि वह सफेद संगमरमरी शिला मूलतः शिवलिंग की आधारशिला थी। वह अभी अपनी जगह पर है और मुमताज़ वहाँ दफ़नाए जाने की कहानी कपोलकल्पित है।
- संगमरमरी जाली के शिखर पर बने कलश कुल 108 हैं, जो संख्या पवित्र हिन्दू मंदिरों की परम्परा है।
- ताजमहल के संगमरमरी तहखाने के नीचे जो लाल पत्थर की बनी मंज़िलें शाहजहाँ द्वारा आबड़-खाबड़ चुनवा दी गई हैं उनमें से कई बार पूरातत्वीय कर्मचारियों को मूर्तियाँ मिली हैं। दरारों में से अन्दर झाँकने वाले व्यक्तियों को अन्दरूनी अंधेरे दालानों में मूर्तियों से अंकित स्तम्भ भी दिखाई दिए थे। ऐसे कई रहस्य सरकारी आदेशों द्वारा गुप्त रखे गये हैं। सरकारी पुरातत्व कर्मचारी तथा अन्य पुरातत्ववेत्ता, ऐतिहासिक तथ्यों को उजागर करने के अपने कर्तव्य के प्रति सचेत हो पर्यवेक्षण करने की बजाय, इस सम्बन्ध में विचार पूर्वक, सभ्य तरीक़े एवं कूटनीति से चुप्पी साधे बैठे हुए हैं।
- भारतवर्ष में बारह ज्योतिर्लिंग अर्थात् मुख्य शिव मंदिर हैं। यह तेजोमहालय याने तथाकथित ताजमहल उनमें से एक है, क्योंकि ताजमहल की ऊपरली किनारे में नाग-नागिन की आकृतियाँ जड़ी होने से लगता है कि यह मंदिर नागनाथेश्वर के नाम से भी जाना जाता था। शाहजहाँ के अधिग्रहण के बाद से इसने अपनी हिन्दू महत्ता खो दी।
- विश्वकर्मा वास्तुशास्त्र नामक वास्तुकला के विवेचनात्मक प्रसिद्ध ग्रन्थ में उल्लिखित विविध प्रकार के शिवलिंगों में तेजोलिंग का उल्लेख करता है, जो हिन्दुओं के आराध्यदेव शिवजी का चिह्न होता है। वैसा तेजोलिंग ही ताजमहल के अन्दर प्रतिष्ठित हुआ था। अत: यह तथाकथित ताजमहल तेजोमहालय ही है।
- आगरा शहर जहाँ ताजमहल अवस्थित है वह प्राचीन काल में शिव पूजा का केन्द्र रहा है। यहाँ की धार्मिक जनता श्रावण मास में रात्रि का भोजन करने से पूर्व पाँच शिव मंदिरों के दर्शन लेती थी। पिछली कुछ शताब्दियों में आगरा के निवासियों को बल्केश्वर, पृथ्विनाथ, मनकामेश्वर और राज-राजेश्वर इन चार शिव मंदिरों के ही दर्शन से सन्तुष्ट होना पड़ रहा है, क्योंकि उनके पूर्वजों का आराध्य पाँचवें मंदिर का देवता उनसे छीना गया। स्पष्टत: अग्रेश्वर महादेव नाग-नाथेश्वर ही उनके पाँचवें आराध्य थे जो तेजोमहालय अर्थात् तथाकथित ताजमहल में विराजमान थे।
- आगरे की आबादी ज़्यादातर जाटों की है। वे भगवान शंकर को तेजाश्री कहकर पुकारते हैं। इलस्ट्रेटेड वीकली ऑफ़ इण्डिया 28 जून, 1971, जो जाट विशेषांक था, कहता है कि जाटों के तेज मंदिर होते थे। शिवलिंग के विविध प्रकारों में तेजोलिंग भी एक है। इससे स्पष्ट होता है कि ताजमहल तेजोमहालय अर्थात शिव का विशाल मंदिर है।