धर्म

तुलसी विवाह मंगलाष्टक – Tulsi Vivah Mangalashtak

तुलसी विवाह मंगलाष्टक भगवान श्री विष्णु के भक्तों के लिए एक अनुपम उपहार की तरह है। तुलसी विवाह को भारत के प्रत्येक प्रान्त में किसी-न-किसी रूप में अवश्य ही मनाया जाता है। यह मंगलाष्टक भगवान श्री हरि की कृपा को आकर्षित करता है क्योंकि तुलसी भगवान श्री हरि को अत्यन्त प्रिय है। तुलसी विवाह के समय तुलसी विवाह मंगलाष्टक (Tulsi Vivah Mangalashtak) गायन किया जाता है। पढ़ें तुलसी विवाह मंगलाष्टक–

स्वस्ति श्री गणनायकं गजमुखं, मोरेश्वरं सिद्धिदं ।
बल्लाळो मुरुडं विनायकमहं, चिन्तामणि स्थेवरं ॥

लेण्याद्रिं गिरिजात्मकं सुरवरदं, विघ्नेश्वरम् ओज़रम् |
ग्रामे रांजण संस्थितम् गणपतिः, कुर्यात् सदा मंगलम ॥ १ ॥

गंगा सिंधु सरस्वती च यमुना, गोदावरी नर्मदा ।
कावेरी शरयू महेंद्रतनया शर्मण्वती वेदिका॥

यह भी पढ़ें – इस्कॉन तुलसी आरती

लक्ष्मी: कौस्तुभ पारिजातक सुरा धन्वंतरिश्चंद्रमा: ।
गाव: कामदुधाः सुरेश्वर गजो, रंभादिदेवांगनाः॥
अश्वः सप्त मुखोविषम हरिधनुं, शंखोमृतम चांबुधे ।
रत्नानीह चतुर्दश प्रतिदीनम, कुर्वंतु वोमंगलम॥ ३॥

राजा भीमक रुख्मिणीस नयनी, देखोनी चिंता करी ।
ही कन्या सगुणा वरा नृपवरा, कवणासि म्यां देईजे॥
आतां एक विचार कृष्ण नवरा, त्यासी समर्पू म्हणे ।
रुख्मी पुत्र वडील त्यासि पुसणे, कुर्यात सदा मंगलम॥ ४॥

यह भी पढ़ें – तुलसी माता की आरती

लक्ष्मीः कौस्तुभ पांचजन्य धनु हे, अंगीकारी श्रीहरी ।
रंभा कुंजर पारिजातक सुधा, देवेंद्र हे आवरी॥
दैत्यां प्राप्ति सुरा विधू विष हरा, उच्चैःश्रवा भास्करा ।
धेनुवैद्य वधू वराशि चवदा, कुर्यात सदा मंगलम॥ ५॥

लाभो संतति संपदा बहु तुम्हां, लाभोतही सद्गुण ।
साधोनि स्थिर कर्मयोग अपुल्या, व्हा बांधवां भूषण॥
सारे राष्ट्र्धुरीण हेचि कथिती कीर्ती करा उज्ज्वल ।
गा गार्हस्थाश्रम हा तुम्हां वधुवऱां देवो सदा मंगलम॥ ६॥

यह भी पढ़ें – तुलसी स्तोत्र

विष्णूला कमला शिवासि गिरिजा, कृष्णा जशी रुख्मिणी ।
सिंधूला सरिता तरुसि लतिका, चंद्रा जशी रोहिणी॥
रामासी जनकात्मजा प्रिय जशी, सावित्री सत्यव्रता ।
तैशी ही वधू साजिरी वरितसे, हर्षे वरासी आतां॥ ७।।

आली लग्नघडी समीप नवरा घेऊनि यावा घरा ।
गृह्योत्के मधुपर्कपूजन करा अन्तःपटाते धारा॥
दृष्टादृष्ट वधुवरा न करितां, दोघे करावी उभी ।
वाजंत्रे बहु गलबला न करणे, लक्ष्मीपते मंगलम॥ ८॥

यह भी पढ़ें – मेरी सूख गई तुलसा

विदेशों में बसे कुछ हिंदू स्वजनों के आग्रह पर तुलसी विवाह मंगलाष्टक को हम रोमन में भी प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आशा है कि वे इससे अवश्य लाभान्वित होंगे। पढ़ें तुलसी विवाह मंगलाष्टक रोमन में–

Read Tulsi Vivah Mangalashtak

svasti śrī gaṇanāyakaṃ gajamukhaṃ, moreśvaraṃ siddhidaṃ ।
ballāḻo muruḍaṃ vināyakamahaṃ, cintāmaṇi sthevaraṃ ॥

leṇyādriṃ girijātmakaṃ suravaradaṃ, vighneśvaram oja़ram |
grāme rāṃjaṇa saṃsthitam gaṇapatiḥ, kuryāt sadā maṃgalama ॥ 1 ॥

gaṃgā siṃdhu sarasvatī ca yamunā, godāvarī narmadā ।
kāverī śarayū maheṃdratanayā śarmaṇvatī vedikā॥

lakṣmī: kaustubha pārijātaka surā dhanvaṃtariścaṃdramā: ।
gāva: kāmadudhāḥ sureśvara gajo, raṃbhādidevāṃganāḥ॥
aśvaḥ sapta mukhoviṣama haridhanuṃ, śaṃkhomṛtama cāṃbudhe ।
ratnānīha caturdaśa pratidīnama, kurvaṃtu vomaṃgalama॥ 3॥

rājā bhīmaka rukhmiṇīsa nayanī, dekhonī ciṃtā karī ।
hī kanyā saguṇā varā nṛpavarā, kavaṇāsi myāṃ deīje॥
ātāṃ eka vicāra kṛṣṇa navarā, tyāsī samarpū mhaṇe ।
rukhmī putra vaḍīla tyāsi pusaṇe, kuryāta sadā maṃgalama॥ 4॥

lakṣmīḥ kaustubha pāṃcajanya dhanu he, aṃgīkārī śrīharī ।
raṃbhā kuṃjara pārijātaka sudhā, deveṃdra he āvarī॥
daityāṃ prāpti surā vidhū viṣa harā, uccaiḥśravā bhāskarā ।
dhenuvaidya vadhū varāśi cavadā, kuryāta sadā maṃgalama॥ 5॥

lābho saṃtati saṃpadā bahu tumhāṃ, lābhotahī sadguṇa ।
sādhoni sthira karmayoga apulyā, vhā bāṃdhavāṃ bhūṣaṇa॥
sāre rāṣṭrdhurīṇa heci kathitī kīrtī karā ujjvala ।
gā gārhasthāśrama hā tumhāṃ vadhuvaऱāṃ devo sadā maṃgalama॥ 6॥

viṣṇūlā kamalā śivāsi girijā, kṛṣṇā jaśī rukhmiṇī ।
siṃdhūlā saritā tarusi latikā, caṃdrā jaśī rohiṇī॥
rāmāsī janakātmajā priya jaśī, sāvitrī satyavratā ।
taiśī hī vadhū sājirī varitase, harṣe varāsī ātāṃ॥ 7।।

ālī lagnaghaḍī samīpa navarā gheūni yāvā gharā ।
gṛhyotke madhuparkapūjana karā antaḥpaṭāte dhārā॥
dṛṣṭādṛṣṭa vadhuvarā na karitāṃ, doghe karāvī ubhī ।
vājaṃtre bahu galabalā na karaṇe, lakṣmīpate maṃgalama॥ 8॥

यह भी पढ़ें

साईनाथ अष्टकममधुराष्टकम्नवग्रह मंगलाष्टकचंद्रशेखर अष्टकमगुरु अष्टकमबगलामुखी अष्टकमनर्मदा अष्टकमगणेश अष्टकममहालक्ष्मी अष्टकम

सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हिंदी पथ
error: यह सामग्री सुरक्षित है !!
Exit mobile version