धर्म

वैष्णो देवी की आरती – Vaishno Mata Ki Aarti

वैष्णो देवी की आरती जो भी गाता है, इसमें कोई संदेह नहीं कि उसे माता का आशीर्वाद प्राप्त होता है। कहते हैं कि वैष्णो माता की आरती (Vaishno Mata Ki Aarti) पढ़ने से व्यक्ति की प्रत्येक इच्छा पूर्ण होती है और अनेकानेक पुण्यों की प्राप्ति होती है। पढ़ें वैष्णो देवी की आरती–

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सुन मेरी देवी पर्वत वासिनी कोई तेरा पार न पाया,
पान सुपारी ध्वजा नारियल ले तेरी भेंट चढ़ाया।
सुन मेरी देवी पर्वत वासिनी…

सुवा चोला तेरे अंग विराजै केसर तिलक लगाया,
ब्रह्मा वेद पढ़े तेरे द्वारे शंकर ध्यान लगाया॥
सुन मेरी देवी पर्वत वासिनी…

नंगे नंगे पग से तेरे सम्मुख अकबर आया,
सोने का छत्र चढ़ाया॥
सुन मेरी देवी पर्वत वासिनी…

ऊँचे पर्वत बन्या शिवाला नीचे महल बनाया,
सतयुग द्वापर त्रेता मध्ये कलयुग राज बसाया॥
सुन मेरी देवी पर्वत वासिनी…

धूप दीप नैवेद्य आरती मोहन भोग लगाया,
ध्यानु भक्त मैया तेरा गुन गावे, मनवांछित फल पाया॥
सुन मेरी देवी पर्वत वासिनी…

विदेशों में बसे कुछ हिंदू स्वजनों के आग्रह पर इस आरती को हम रोमन में भी प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आशा है कि वे इससे अवश्य लाभान्वित होंगे। पढ़ें यह आरती रोमन में–

Read Vaishno Mata Ki Aarti

suna merī devī parvata vāsinī koī terā pāra na pāyā,
pāna supārī dhvajā nāriyala le terī bheṃṭa caढ़āyā।
suna merī devī parvata vāsinī…

suvā colā tere aṃga virājai kesara tilaka lagāyā,
brahmā veda paḍha़e tere dvāre śaṃkara dhyāna lagāyā॥
suna merī devī parvata vāsinī…

naṃge naṃge paga se tere sammukha akabara āyā,
sone kā chatra caḍha़āyā॥
suna merī devī parvata vāsinī…

ū~ce parvata banyā śivālā nīce mahala banāyā,
satayuga dvāpara tretā madhye kalayuga rāja basāyā॥
suna merī devī parvata vāsinī…

dhūpa dīpa naivedya āratī mohana bhoga lagāyā,
dhyānu bhakta maiyā terā guna gāve, manavāṃchita phala pāyā॥
suna merī devī parvata vāsinī…

वैष्णो देवी की आरती के नियम
Rules For Vaishno Mata Ki Aarti

आरती को आरात्रिका या आरार्तिक भी कहते हैं। इसे करने के भी कुछ विधि-विधान होते हैं, जो सामान्यतः लोगों को पता नहीं होते। इसलिए आवश्यक है कि सही तरीके से यह कार्य हो, ताकि माँ की प्रसन्नता प्राप्त हो सके। सही तरह से की गई वैष्णो देवी की आरती (Vaishno Devi Ki Aarti) पूजन के दौरान हुई किसी भी गलती का परिमार्जन कर देती है। आइए, इसके लिए देखते हैं कुछ नियम–

  1. सबसे पहले तीन बार फूल माँ को अर्पित करें।
  2. शंख, घड़ियाल, घण्टा, ढोल या नगाड़े की ध्वनि के साथ आरती करें।
  3. सामान्यतः पाँच बत्तियों से आरार्तिक का विधान है, किंतु किसी भी विषम संख्या जैसे एक, तीन, सात आदि में बत्तियाँ ली जा सकती हैं।
  4. सर्वप्रथम इसे प्रतिमा के चरणों में चार बार, तदन्तर दो बार नाभिदेश में, फिर एक बार मुख के सामने तथा अंत में सभी अंगों पर सात बार घुमाएँ।

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