वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ – Vakratunda Mahakaya Lyrics
“वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ” (Vakratunda Mahakaya) मंत्र भगवान गणेश को समर्पित है। इस मंत्र का जाप गणेश चतुर्थी के पावन अवसर में करने से भक्तों को गणेश जी की कृपा प्राप्त करने में मदद मिल सकती है।
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा।
इस मंत्र का अर्थ है
“हे भगवान गणेश, जिनके मुंह घुमावदार है, जिनका शरीर विशाल है, और जिनकी रोशनी करोड़ों सूर्यों की तरह चमकती है, कृपया मेरे सभी कार्यों को बिना किसी बाधा के पूरा करें।”
यह मंत्र भक्तों को निम्नलिखित लाभ प्रदान कर सकता है:-
- यह मंत्र भक्तों को अपने सभी कार्यों में सफलता प्राप्त करने में मदद कर सकता है।
- यह मंत्र भक्तों के मार्ग में आने वाली सभी बाधाओं को दूर करने में मदद कर सकता है।
- यह मंत्र भक्तों को समृद्धि और धन प्राप्त करने में मदद कर सकता है।
- यह मंत्र भक्तों को ज्ञान और बुद्धि प्राप्त करने में मदद कर सकता है।
- यह मंत्र भक्तों के आध्यात्मिक विकास में मदद कर सकता है।
यहाँ इस मंत्र का जाप करने की विधि दी गई है:-
- किसी स्वच्छ और शांतिपूर्ण स्थान पर बैठ जाएं।
- अपने सामने भगवान गणेश की मूर्ति या तस्वीर रखें।
- अपने हाथों को जोड़ें और भगवान गणेश को प्रणाम करें।
- इस मंत्र को 108 बार या अपनी सुविधा के अनुसार जाप करें।
- अपने प्रार्थनाओं को समाप्त करने के लिए भगवान गणेश को धन्यवाद दें।
इस “वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ” मंत्र (Vakratunda Mahakaya Mantra Lyrics) का जाप करने से पहले, यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि आपका मन शांत और केंद्रित है। आप मंत्र का जाप करते समय अपने सांसों पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं। आप मंत्र का जाप करते समय भगवान गणेश के प्रति अपनी श्रद्धा और समर्पण को भी व्यक्त कर सकते हैं।
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