धर्म

वामन चालीसा – Vaman Chalisa Lyrics

वामन चालीसा का पाठ अध्ययन और साधना में सहायक होता है। इसे पढ़ने से ध्यान और अध्ययन की शक्ति बढ़ती है और ज्ञान की प्राप्ति होती है। भक्ति और श्रद्धा की भावना में वृद्धि होती है। व्यक्ति को संकटों से मुक्ति मिलती है और उन्हें दुर्भाग्य से रक्षा होती है।

॥ दोहा ॥

श्री वामन शरण जो आयके, धरे विवेक का ध्यान ।
श्री वामन प्रभु ध्यान धर, देयो अभय वरदान ॥
संकट मुक्त निक राखियो, हे लक्ष्मीपति करतार ।
चरण शरण दे लीजिये, विष्णु बटुक अवतार ॥

॥ चौपाई ॥

जय जय जय अमन बलबीरा।
तीनो लोक तुम्ही रणधीरा॥१॥
ब्राह्मण गुण रूप धरो जब।
टोना भारी नाम पड़ो तब॥२॥
भाद्रो शुक्ला द्वादशी आयो।
वामन बाबा नाम कहाओ॥३॥

बायें अंग जनेऊ साजे।
तीनो लोक में डंका बाजे॥४॥
सर में कमंडल छत्र विराजे।
मस्तक तिलक केसरिया साजे॥५॥
कमर लंगोटा चरण खड़ाऊँ।
वामन महिमा निशदिन गाऊँ॥६॥
चोटी अदिव्य सदा सिर धारे।
दीन दुखी के प्राणं हारे ॥७॥
धरो रूप जब दिव्य विशाला।
बलि भयो तब अति कंगाला॥८॥

रूप देख जब अति विसराला।
समझ गया नप है जग सारा॥९॥
नस बलि ने जब होश संभाला।
प्रकट भये तब दीन दयाला॥१०॥
दिव्य ज्योति बैंकुठ निवासा।
वामन नाम में हुआ प्रकाशा॥११॥
दीपक जो कोई नित्य जलाता।
संकट कटे अमर हो जाता ॥१२॥

जो कोई तुम्हरी आरती गाता।
पुत्र प्राप्ति पल भर में पाता॥१३॥
तुम्हरी शरण हे जो आता।
सदा सहाय लक्ष्मी माता ॥१४॥
श्री हरी विष्णु के अवतार
कश्यप वंश अदिति दुलारे॥१५॥
वामन ग्राम से श्री हरी आरी।
महिमा न्यारी पूर्ण भारी ॥१६॥

भरे कमंडल अद्भुत नीरा।
जहां पर कृपा मिटे सब पीड़ा ॥१७॥
पूरा हुआ ना बलि का सपना।
तीनो लोक तीनो अपना॥१८॥
पूर्ण भारी पल में हो।
राक्षस कुल को तुरंत रोऊ॥१९॥
तुम्हरा वैभव नहीं बखाना।
सुर नर मुनि सब गावै ही गाना ॥२०॥

चित दिन ध्यान धरे वा मन को।
रोग ऋण ना कोई तन को॥२१॥
आये वामन द्वारा मन को।
सब जन जन और जीवन धन को ॥२२॥
तीनो लोक में महिमा न्यारी।
पाताल लोक के हो आभारी ॥२३॥
जो जन नाम रटत हैं तुम्हरा।
रखते बाबा उसपर पहरा ॥२४॥

कृष्ण नाम का नाता गहरा।
चरण शरण जो तुम्हरी ठहरा॥२५॥
पंचवटी में शोर निवासा।
चारो और तुम हो प्रकाशा ॥२६॥
हाँथ में पोथी सदा विराजा।
रंक का किया आचरण पल में राजा ॥२७॥
सम्पति सुमिति तोरे दरवाजे।
ढोल निगाडे गाजे बाजे ॥२८॥

केसर चन्दन तुमको साजे।
वामन ग्राम में तुम्हे ही विराजे ॥२९॥
रिद्धि सिद्धि के दाता तुम हो।
दीन दुःखी के भ्राता तुम हो॥३०॥
वामन ग्राम के तुम जगपाला।
तुम बिन पाये ना कोई निवाला ॥३१॥
तुम्हरी गाये सदा जो शरणा ।
उनकी इच्छा पूरी करना॥३२॥

निकट निवास गोमती माता।
दुःख दरिद्र को दूर भगाता ॥३३॥

तुमरा गान सदा जो गाता।
उनके तुम हो भाग्य विद्याता ॥३४॥
भूत पिशाच नाम सुन भागै।
असुर जाति खर-खर-खर खापैं ॥३५॥
वामन महिमा जो जन गाईं।
जन्म मरण का को कछु छुटी जाई ॥३६॥

अंत काल बैकुंठ में जाई।
दिव्य ज्योति में वहां छिप जाई ॥३७॥
संकट कितना भी गंभीरा।
वामन तोड़ सब गंभीरा ॥३८॥
जै जै जै विकट गोसाई।
कृपा करो केवट की नाईं ॥३९॥
अंत काल बैकुंठ निवासा।
फिर सिंदु में करे विलासा ॥४०॥

॥ दोहा ॥

चरण शरण निज राखियों, अदिति माई के लाल ।
छत सी छाया राखियों, तुलसीदास हरिदास ॥

॥ इति श्री वामन चालीसा संपूर्णम् ॥

विदेशों में बसे कुछ हिंदू स्वजनों के आग्रह पर वामन चालीसा (Vaman Chalisa) को हम रोमन में भी प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आशा है कि वे इससे अवश्य लाभान्वित होंगे। पढ़ें यह चालीसा रोमन में–

Vaman Chalisa Lyrics

॥ dohā ॥

śrī vāmana śaraṇa jo āyake, dhare viveka kā dhyāna ।
śrī vāmana prabhu dhyāna dhara, deyo abhaya varadāna ॥
saṅkaṭa mukta nika rākhiyo, he lakṣmīpati karatāra ।
caraṇa śaraṇa de lījiye, viṣṇu baṭuka avatāra ॥

॥ cāupāī ॥

jaya jaya jaya amana balabīrā।
tīno loka tumhī raṇadhīrā॥1॥
brāhmaṇa guṇa rūpa dharo jaba।
ṭonā bhārī nāma paḍo taba॥2॥
bhādro śuklā dvādaśī āyo।
vāmana bābā nāma kahāyo॥3॥

bāyeṃ aṅga janeū sāje।
tīno loka mēṃ ḍaṅkā bāje॥4॥
sara mēṃ kamaṅdala chatra virāje।
mastaka tilaka kesariyā sāje॥5॥
kamara laṅgoṭā caraṇ khaḍāū̃।
vāmana mahimā niśadina gāū̃॥6॥
coṭī adibya sadā sira dhārē।
dīna dukhī kē prāṇaṁ hārē॥7॥
dhara rūpa jaba divya viśālā।
bali bhayō taba ati kaṅgālā॥8॥

rūpa dēkha jaba ati visarālā।
samajha gayā napa hai jaga sārā॥9॥
nasa bali nē jaba hōśa sambhālā।
prakaṭa bhayē taba dīna dayālā॥10॥
divya jyōti baiṅkuṭha nivāsā।
vāmana nāma mēṃ huā prakāśā॥11॥
dīpaka jō kō’ī nitya jalātā।
saṅkaṭa katē amara hō jātā॥12॥

jō kō’ī tumharī āratī gātā।
putra prāpti pala bhara mēṁ pātā॥13॥
tumharī śaraṇa hē jō ātā।
sadā sahāya lakṣmī mātā॥14॥
śrī harī viṣṇu kē avatāra।
kashyapa vaṁśa aditi dulārē॥15॥
vāmana grāma sē śrī harī ārī।
mahimā nyārī pūrṇa bhārī॥16॥

bharē kamaṅḍala adbhuta nīrā।
jahām para kr̥pā mitē saba pīḍā॥17॥
pūrā hū’ā nā bali kā sapnā।
tīno lōka tīno apānā॥18॥
pūrṇa bhārī pala mēṁ hō।
rākṣasa kula kō turaṁta rō’ū॥19॥
tumharā vaibhava nahī̃ bakhānā।
sura nara muni saba gāvai hī gānā॥20॥

cita dina dhyāna dhara vā mana kō।
rōga ṛṇa nā kō’ī tana kō॥21॥
āyē vāmana dvārā mana kō।
saba jana jana aura jīvana dhana kō॥22॥
tīno lōka mēṁ mahimā nyārī।
pātāla lōka kē hō ābhārī॥23॥
jō jana nāma raṭata haiṁ tumharā।
rakhatē bābā usapara paharā॥24॥

kr̥ṣṇa nāma kā nātā gaharā।
caraṇa śaraṇa jō tumharī ṭhaharā॥25॥
paṅcavaṭī mēṁ śōra nivāsā।
cārō aura tuma hō prakāśā॥26॥
hāṁtha mēṁ pōthī sadā virājā।
ranka kā kiya ācaraṇa pala mēṁ rājā॥27॥
sampati sumiti tōrē daravājē।
ḍhōla nigāḍē gājē bājē॥28॥

kēsara candana tumakō sājē।
vāmana grāma mēṁ tumhē hī virājē॥29॥
riddhi siddhi kē dātā tum hō।
dīna duḥkhī kē bhrātā tum hō॥30॥
vāmana grāma kē tum jagapālā।
tuma bina pāyē nā kō’ī nivālā॥31॥
tumharī gāyē sadā jō śaraṇā।
unkī icchā pūrī karanā॥32॥

nikaṭa nivāsa gōmatī mātā।
duḥkha daridra kō dūra bhagātā॥33॥
tumarā gāna sadā jō gātā।
unkē tuma hō bhāgya vidyātā॥34॥
bhūta piśāca nāma suna bhāgai।
asura jāti khara-khara-khara khāpai॥35॥
vāmana mahimā jō jana gāī।
jana maraṇa kā kō kachu chuṭī jāī॥36॥

anta kāla baikunṭha mēṁ jāī।
divya jyōti mēṁ vahāṁ chipa jāī॥37॥
saṅkaṭa kitana bhī gambhīrā।
vāmana tōṛa saba gambhīrā॥38॥
jai jai jai vikata gōsāī।
kr̥pā kara kēvaṭa kī nā’ī॥39॥
anta kāla baikunṭha nivāsā।
phira siṁdu mēṁ kara vilāsā॥40॥

॥ dohā ॥

caraṇa śaraṇa nija rākhiyōṁ, aditi mā’ī kē lāla ।
chhaṯa sī chāyā rākhiyōṁ, tulasīdāsa haridāsa ॥

॥ iti śrī vāmana chālīsā saṁpūrṇam ॥

https://www.youtube.com/watch?v=2dUdtdDzhmY

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सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

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