धर्म

वैदिक राष्ट्रगान – Vedic Rashtra Geet Lyrics

वैदिक राष्ट्रगान प्राचीन काल के समय देश में गाए जाने वाला वैदिक राष्ट्रगान है। यह वैदिक राष्ट्रगान आज भी कई गुरुकुलों में गया जाता है। ये यजुर्वेद के संस्कृत श्लोक का हिन्दी रूपांतरण है। इस वेद में अधिकांशतः यज्ञों और हवनों के नियम और विधान हैं, इसलिए यह ग्रंथ कर्मकाण्ड पर आधारित है।

यजुर्वेद की संहिताएं लगभग अंतिम रची गई संहिताएं थीं, जो ईसा पूर्व की द्वितीय सहस्राब्दि से प्रथम सहस्राब्दी के आरंभिक सदियों में लिखी गई थीं। इस ग्रंथ से आर्यों के सामाजिक और धार्मिक जीवन की प्रकाश पड़ती है, उनके समय की वर्ण-व्यवस्था और वर्णाश्रम की प्रतिष्ठा भी दिखाई देती है। यजुर्वेद संहिता में वैदिक काल के धर्म के कर्मकाण्ड की आयोजन और यज्ञ करने के लिए मंत्रों का संग्रह है। इसमें कई कर्मकाण्ड के यज्ञों का विवरण दिया गया है।

संस्कृत श्लोक:

ओ३म् आ ब्रह्मन् ब्राह्मणो ब्रह्मवर्चसी जायतामाराष्ट्रे राजन्यः शूरऽइषव्योऽतिव्याधी महारथो जायतां दोग्ध्री धेनुर्वोढ़ाऽनड्वानाशुः सप्तिः पुरन्धिर्योषा जिष्णू रथेष्ठाः सभेयो युवास्य यजमानस्य वीरो जायतां निकामे-निकामे नः पर्जन्यो वर्षतु फलवत्यो नऽओषधयः पच्यन्तां योगक्षेमो नः कल्पताम् ॥ यजुर्वेद २२, मन्त्र २२

अर्थ-

ब्रह्मन् ! स्वराष्ट्र में हों,
द्विज ब्रह्म तेजधारी।
क्षत्रिय महारथी हों,
अरिदल विनाशकारी॥

होवें दुधारू गौएँ,
पशु अश्व आशुवाही।
आधार राष्ट्र की हों,
नारी सुभग सदा ही॥

बलवान सभ्य योद्धा,
यजमान पुत्र होवें।
इच्छानुसार वर्षें,
पर्जन्य ताप धोवें॥

फल-फूल से लदी हों,
औषध अमोघ सारी।
हों योग-क्षेमकारी,
स्वाधीनता हमारी॥

विदेशों में जा बसे बहुत से देशवासियों की मांग है कि हम वैदिक राष्ट्रगान को देवनागरी हिंदी के अतिरिक्त अंग्रेजी / रोमन में भी प्रस्तुत करें ताकि वे भी इस संघ गीत को पढ़ सकें व आनंद ले सकें। पढ़ें राष्ट्रगान रोमन में-

Read Vedic Rashtra Geet

vaidika rāṣṭragāna prācīna kāla ke samaya deśa meṃ gāe jāne vālā vaidika rāṣṭragāna hai। yaha vaidika rāṣṭragāna āja bhī kaī gurukuloṃ meṃ gayā jātā hai। ye yajurveda ke saṃskṛta śloka kā hindī rūpāṃtaraṇa hai।

saṃskṛta śloka:

o3m ā brahman brāhmaṇo brahmavarcasī jāyatāmārāṣṭre rājanyaḥ śūra’iṣavyo’tivyādhī mahāratho jāyatāṃ dogdhrī dhenurvoḍha़ā’naḍvānāśuḥ saptiḥ purandhiryoṣā jiṣṇū ratheṣṭhāḥ sabheyo yuvāsya yajamānasya vīro jāyatāṃ nikāme-nikāme naḥ parjanyo varṣatu phalavatyo na’oṣadhayaḥ pacyantāṃ yogakṣemo naḥ kalpatām ॥ — yajurveda 22, mantra 22

artha-

brahman ! svarāṣṭra meṃ hoṃ,
dvija brahma tejadhārī।
kṣatriya mahārathī hoṃ,
aridala vināśakārī॥

hoveṃ dudhārū gaue~,
paśu aśva āśuvāhī।
ādhāra rāṣṭra kī hoṃ,
nārī subhaga sadā hī॥

balavāna sabhya yoddhā,
yajamāna putra hoveṃ।
icchānusāra varṣeṃ,
parjanya tāpa dhoveṃ॥

phala-phūla se ladī hoṃ,
auṣadha amogha sārī।
hoṃ yoga-kṣemakārī,
svādhīnatā hamārī॥

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सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

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