विक्रम बेताल की कहानियां – बेताल पच्चीसी
विक्रम बेताल की 26 कहानियां आपके सामने प्रस्तुत करते हुए हमें हर्ष का अनुभव हो रहा है। विक्रम और बेताल की कहानी हर किसी ने कभी-न-कभी ज़रूर सुनी होगी। जिस तरह पंचतंत्र, जातक कथाएँ और अकबर बीरबल की कहानियां आम लोगों में बहुत पसंद की जाती हैं, उसी तरह ये कहानियाँ भी अत्यन्त लोकप्रिय हैं। पढ़ें ये दिलचस्प कहानियाँ हिंदी में–
- विक्रम और बेताल की कहानी का आरंभ
- पद्मावती की प्रेम-कहानी
- मंदारवती किसकी पत्नी है?
- कौन दुष्ट: पुरुष या स्त्रियाँ?
- बड़ा वीर कौन?
- सोमप्रभा की कथा
- मदनसुन्दरी का पति
- सत्त्वशील साहसी या राजा?
- तीन चतुर पुरुष
- राजकुमारी अनंगरति की कहानी
- मदनसेना की कथा
- राजा धर्मवज की कहानी
- यशकेतु की कथा
- ब्राह्मण हरिस्वामी की कहानी
- रत्नावती और चोर
- शशिप्रभा की कहानी
- जीमूतवाहन की कथा
- यशोधन और बलधर में कौन अधिक चरित्रवान?
- चंद्रस्वामी की दुविधा
- चंद्रप्रभ किसका पुत्र?
- चंद्रावलोक और ब्राह्मण-पुत्र
- अनंगमंजरी की आसक्ति
- चार ब्राह्मण भाइयों की कथा
- बूढ़ा तपस्वी क्यों हँसा और रोया
- चंद्रावती की अनोखी कथा
- शांतशील का वध
बेताल पच्चीसी की रचना
इनपर विक्रम बेताल की रहस्य गाथा (Vikram Betaal Ki Rahasya Gatha) नामक टीवी धारावाहिक भी बन चुका है। वस्तुतः बेताल पच्चीसी संस्कृत के ग्रंथ वेताल पञ्चविंशतिका का हिंदी नाम है। इसमें वे रोचक 25 कहानियाँ हैं जो बेताल राजा विक्रमादित्य को सुनाता है। ऐसी जनश्रुती है कि विक्रम बेताल की कहानी के रचयिता बेताल भट्टराव थे, जो राजा विक्रमादित्य के दरबार में नवरत्नों में से एक थे।
इन कहानियों की ख़ास बात यह है कि इनसे राजा विक्रमादित्य की न्यायप्रियता का पता लगता है। चंदामामा पत्रिका में भी हमने ये कथाएँ अवश्य पढ़ी होंगी। प्रत्येक विक्रम बेताल की कहानी (Vikram Betal Ki Kahani) एक स्पष्ट रूपरेखा का अनुसरण करती है। इसमें बेताल रोज़ाना राजा को एक कहानी सुनाता है। यह कहानी ऐसी होती है, जिसका उत्तर राजा विक्रमादित्य को देना ही पड़ता है। बेताल की शर्त यह है कि विक्रम के कुछ बोलते ही वह पुनः पेड़ पर जाकर लटक जाएगा। इसके बावजूद भी राजा हर बार बेताल के सवाल का जवाब दे ही देता है।
बड कहा का इतिहास
इतिहासकारों का मत है कि विक्रम बेताल (Vikram Betal) की इन कहानियों का मूल बृहत्कथा नामक ग्रंथ में है। प्राचीन प्राकृत में लिखे गए इस ग्रन्थ को “बड कहा” (प्राकृत भाषा में) कहा जाता है। कहते हैं कि यह बहुत ही विशाल पुस्तक थी, जिसमें लगभत सात लाख छंद थे। इसके रचयिता सातवाहन राजा के मन्त्री गुणाढ्य थे। दुर्भाग्यवश अब बड कहा का पूरी तरह लोप हो चुका है और यह पूर्णतः अप्राप्य है। लेकिन जहाँ मूल ग्रंथ विलुप्त हुआ, वहीं उसकी कहानियाँ बची रह गयीं।
विक्रम बेताल की कहानियां समय की मार को सहकर भी इसलिए बच सकीं, क्योंकि ज़्यादातर कथाएँ सोमदेव भट्टराव के कथासरित्सागर में संकलित कर ली गयी थीं। यह ग्रंथ संस्कृत भाषा में लिखा गया है। आज-कल प्रचलित और प्राप्य बेताल पच्चीसी दरअस्ल इसी कथा सरित्सागर का हिस्सा है।
हर कहानी अपने आप में गहन है, समझने योग्य है और दिल को छूती है। शायद यही कारण है कि विक्रम और बेताल की कहानियां (Vikram Aur Betaal) इतनी जनप्रिय हैं और इनका देश-विदेश की अनेक भाषाओं में अनुवाद हुआ है। प्रत्येक कहानी जीवन में सकारात्मक परिवर्तन ला सकती है और निर्णय करने की क्षमता को विकसित करती है।
आइए, इन कहानियों को सिर्फ़ पढ़ते नहीं हैं, बल्कि इनका गहन अध्ययन करते हैं। बेताल पच्चीसी (Betaal Pachisi) यह अध्ययन हमारा मनोरंजन तो करेगा ही, साथ ही हमें ज्ञान से भी परिपूर्ण कर देगा। हर कथा आपको भिन्न स्तर पर छूएगी। साथ ही इनका अनुशीलन आपको अलग-अलग आयामों में विकसित करेगा।
विक्रम बेताल की कहानी (Vikram aur betaal ki kahani)
विक्रम और बेताल से कौन व्यक्ति परिचित नहीं है। विक्रम और बेताल की कहानी (vikram betaal ki rahasya gatha) जग प्रसिद्ध कहानियों में से एक हैं। बेताल पच्चीसी विक्रमादित्य की कहानी, राजा विक्रमादित्य और बेताल के इर्द गिर्द घूमती हैं। इनकी (vikram betal story in hindi) कहानी को हर उम्र का व्यक्ति सुनना और पढ़ना पसंद करता है। ये कहानियां (vikram aur betal ki kahaniyan) रहस्यप्रद, हास्य रस से परिपूर्ण, और प्रेरणादायक होती हैं। इन्हें (vikram betal ki rahasya gatha) विक्रम बेताल की रहस्य गाथा भी कहा जाता है। vikram betal ki kahani (विक्रम बेताल की कहानियां) पर आधारित कई धारावाहिक, कार्टून, कॉमिक्स, और किताबें भी हैं।
किस प्रकार हुई विक्रम बेताल कहानी (Vikram or betal ki kahani) की शुरुआत
राजा उज्जैन के महान, साहसी, और निडर राजा थे। एक योगी ने उन्हें बेताल को मसान के पेड़ से उतारकर लाने के लिए कहा था। परंतु बेताल अपनी चालाकी से बार-बार वापस पेड़ पर जाकर लटक जाता था। विक्रम बेताल हिंदी कहानी (Vikram betal in hindi) के अनुसार, विक्रमादित्य राजा जब बेताल को लेकर चलने लगे तो उसने राजा के सामने एक शर्त रखी कि वह सफर के दौरान कुछ भी नहीं बोलेगा। यदि राजा कुछ भी बोले तो वह वापस पेड़ पर जाकर लटक जाएगा। राजा को बेताल की शर्त स्वीकार करनी पड़ी, क्यों की उसके योग बल के सामने राजा की शक्तियां कमज़ोर थी। उस भयानक जंगल में राह को आसान बनाने के लिए बेताल कहानियां सुनाता था। कहानी (Betal ki kahani) के अंत में वह एक सवाल पूछता था, जो न्याय आधारित होता था। राजा सबसे न्यायप्रिय राजा माने जाते थे, और उनके न्याय को सुनने के लिए बेताल के साथ-साथ ऋषि, देवता, और गंधर्व भी उत्सुक रहते थे।
बेताल ने राजा विक्रम से एक और बात कही थी, कि अगर वो प्रश्न का उत्तर जानते हुए भी नहीं देंगे तो बेताल अपने योगबल से उनके सर के टुकड़े-टुकड़े कर देगा। और राजा को प्रश्न के उत्तर पता होते थे। जैसे विक्रमादित्य उत्तर देते थे, बेताल उड़कर वापस पेड़ पर लटक जाता था। राजा विक्रम, बेताल की कहानियों (Vikram betal kahani) को ध्यानपूर्वक सुनते थे, क्योंकि उन्हें पता था कि बेताल बहुत ज्ञानी हैं। विक्रम बेताल की कथा (Vikram betal ki kahaniyan) के अनुसार इस कहानी में गृहस्थी, राजकाज, और जीवन से संबंधित अनेक ज्ञान और रहस्य की बातें छुपी होती थी।
हिंदीपथ पर विक्रम बेताल की कहानियों को पढ़कर आप इनका आनंद लेने के साथ-साथ सीख़ भी ग्रहण कर सकते हैं।
When I took the Rice Purity Test a few months ago at 19, I scored a 98 … Which I thought was pretty normal, given that I’m a prudent college student, have never been in a romantic relationship, and spend my Friday nights and weekends mainly at the library.
thanks for sharing this story
you write a good story. I read and listen to children also.
good and interesting story .keep writing dost