धर्म

विमलनाथ चालीसा – Bhagwan Vimalnath Chalisa

विमलनाथ चालीसा में भव-बंधन को काटने की शक्ति है। भगवान विमलनाथ जैन धर्म के तेरहवें तीर्थंकर हैं। जो श्रद्धा से भरकर इसका पाठ करता है, उसकी सारी कामनाएँ अवश्य ही पूरी होती हैं। इहलोक के साथ ही उसका परलोक भी सध जाता है। ऐसी महिमा है इस विमलनाथ चालीसा के पाठ की। पढ़ें विमलनाथ चालीसा–

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भगवान विमलनाथ का चिह्न – शूकर

सिद्ध अनन्तानन्त नमन कर,
सरस्वती को मन में ध्याय॥

विमलप्रभु की विमल भक्ति कर,
चरण कमल में शीश नवाय॥

जय श्री विमलनाथ विमलेश।
आठों कर्म किए निःशेष॥

कृतवर्मा के राजदुलारे।
रानी जयश्यामा के प्यारे॥

मंगलीक शुभ सपने सारे।
जगजननी ने देखे न्यारे॥

शुक्ल चतुर्थी माघ मास की।
जन्म जयन्ती विमलनाथ की॥

जन्मोत्सव देवों ने मनाया।
विमलप्रभु शुभ नाम धराया॥

मेरु पर अभिषेक कराया।
गन्धोदक श्रद्धा से लगाया॥

वस्त्राभूषण दिव्य पहनाकर।
मात-पिता को सौंपा आकर॥

साठ लाख वर्षायु प्रभु की।
अवगाहना थी साठ धनुष की॥

कंचन जैसी छवि प्रभु-तन की।
महिमा कैसे गाऊँ मै उनकी॥

बचपन बीता, यौवन आया।
पिता ने राजतिलक करवाया॥

चयन किया सुन्दर वधुओं का।
आयोजन किया शुभ विवाह का॥

एक दिन देखी ओस घास पर।
हिमकण देखें नयन प्रीतिभर॥

हुआ संसर्ग सूर्य रश्मि से।
लुप्त हुए सब मोती जैसे॥

हो विश्वास प्रभु को कैसे?
खड़े रहे वे चित्रलिखित से॥

“क्षणभंगुर है ये संसार।
एक धर्म ही है बस सार॥

वैराग्य हृदय में समाया।
छोड़े क्रोध- मान और माया॥

घर पहुँचे अनमने से होकर।
राजपाट निज सुत को देकर॥

देवोमई शिविका पर चढ़कर।
गए सहेतुक वन में जिनवर॥

माघ मास- चतुर्थी कारी।
“नम: सिद्ध” कह दीक्षाधारी॥

रचना समोशरण हितकार।
दिव्य देशना हुई सुखकार॥

उपशम करके मिथ्यात्व का।
अनुभव करलो निज आतम का॥

मिथ्यात्व का होय निवारण।
मिटे संसार भ्रमण का कारण॥

बिन सम्यक्त्व के जप-तप-पूजन।
निष्फल हैं सारे व्रत-अर्चन॥

विषफल हैं ये विषयभोग सब।
इनको त्यागो हेय जान अब॥

द्रव्य-भाव-नो कमोदि से।
भिन्न हैं आतम देव सभी से॥

निश्चय करके निज आतम का।
ध्यान करो तुम परमातम का॥

ऐसी प्यारी हित की वाणी।
सुनकर सुखी हुए सब प्राणी॥

दूर-दूर तक हुआ विहार।
किया सभी ने आत्मोद्धार॥

‘मन्दर’ आदि पचपन गणधर।
अड़सठ सहस दिगम्बर मुनिवर॥

उम्र रही जब तीस दिनों की।
जा पहुँचे सम्मेद शिखर जी॥

हुआ बाह्य वैभव परिहार।
शेष कर्म बन्धन निखार॥

आवागमन का कर संहार।
प्रभु ने पाया मोक्षागार॥

षष्ठी कृष्णा मास आसाढ़।
देव करें जिनभक्ति प्रगाढ़॥

सुवीर कूट पूजे मन लाय।
निर्वाणोत्सव करें हर्षाय॥

जो भवि विमलप्रभ को ध्यावें।
वे सब मन वांछित फल पावें।

अरुणा करती विमल-स्तवन।
ढीले हो जावें भव-बन्धन॥

जाप – ॐ ह्रीं अर्हं श्री विमलप्रभु नमः

विदेशों में बसे कुछ हिंदू स्वजनों के आग्रह पर विमलनाथ चालीसा (Bhagwan Vimalnath Chalisa) चालीसा को हम रोमन में भी प्रस्तुत कर रहे हैं। हमें आशा है कि वे इससे अवश्य लाभान्वित होंगे। पढ़ें विमलनाथ चालीसा रोमन में–

Read Bhagwan Vimalnath Chalisa

siddha anantānanta namana kara,
sarasvatī ko mana meṃ dhyāya।
vimalaprabhu kī vimala bhakti kara,
caraṇa kamala meṃ śīśa navāya॥

jaya śrī vimalanātha vimaleśa।
āṭhoṃ karma kie niḥśeṣa॥

kṛtavarmā ke rājadulāre।
rānī jayaśyāmā ke pyāre॥

maṃgalīka śubha sapane sāre।
jagajananī ne dekhe nyāre॥

śukla caturthī māgha māsa kī।
janma jayantī vimalanātha kī॥

janmotsava devoṃ ne manāyā।
vimalaprabhu śubha nāma dharāyā॥

meru para abhiṣeka karāyā।
gandhodaka śraddhā se lagāyā॥

vastrābhūṣaṇa divya pahanākara।
māta-pitā ko sauṃpā ākara॥

sāṭha lākha varṣāyu prabhu kī।
avagāhanā thī sāṭha dhanuṣa kī॥

kaṃcana jaisī chavi prabhu-tana kī।
mahimā kaise gāū~ mai unakī॥

bacapana bītā, yauvana āyā।
pitā ne rājatilaka karavāyā॥

cayana kiyā sundara vadhuoṃ kā।
āyojana kiyā śubha vivāha kā॥

eka dina dekhī osa ghāsa para।
himakaṇa dekheṃ nayana prītibhara॥

huā saṃsarga sūrya raśmi se।
lupta hue saba motī jaise॥

ho viśvāsa prabhu ko kaise ?
khaḍa़e rahe ve citralikhita se॥

“kṣaṇabhaṃgura hai ye saṃsāra।
eka dharma hī hai basa sāra॥

vairāgya hṛdaya meṃ samāyā।
choḍa़e krodha- māna aura māyā॥

ghara pahu~ce anamane se hokara।
rājapāṭa nija suta ko dekara॥

devomaī śivikā para caḍha़kara।
gae sahetuka vana meṃ jinavara॥

māgha māsa- caturthī kārī।
“nama: siddha” kaha dīkṣādhārī॥

racanā samośaraṇa hitakāra।
divya deśanā huī sukhakāra॥

upaśama karake mithyātva kā।
anubhava karalo nija ātama kā॥

mithyātva kā hoya nivāraṇa।
miṭe saṃsāra bhramaṇa kā kāraṇa॥

bina samyaktva ke japa-tapa-pūjana।
niṣphala haiṃ sāre vrata-arcana॥

viṣaphala haiṃ ye viṣayabhoga saba।
inako tyāgo heya jāna aba॥

dravya-bhāva-no kamodi se।
bhinna haiṃ ātama deva sabhī se॥

niścaya karake nija ātama kā।
dhyāna karo tuma paramātama kā॥

aisī pyārī hita kī vāṇī।
sunakara sukhī hue saba prāṇī॥

dūra-dūra taka huā vihāra।
kiyā sabhī ne ātmoddhāra॥

‘mandara’ ādi pacapana gaṇadhara।
aḍa़saṭha sahasa digambara munivara॥

umra rahī jaba tīsa dinoṃ kī।
jā pahu~ce sammeda śikhara jī॥

huā bāhya vaibhava parihāra।
śeṣa karma bandhana nikhāra॥

āvāgamana kā kara saṃhāra।
prabhu ne pāyā mokṣāgāra॥

ṣaṣṭhī kṛṣṇā māsa āsāḍha़।
deva kareṃ jinabhakti pragāḍha़॥

suvīra kūṭa pūje mana lāya।
nirvāṇotsava kareṃ harṣāya॥

jo bhavi vimalaprabha ko dhyāveṃ।
ve saba mana vāṃchita phala pāveṃ।

aruṇā’ karatī vimala-stavana।
ḍhīle ho jāveṃ bhava-bandhana॥

jāpa:- oṃ hrīṃ arha śrī vimalaprabhu namaḥ

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सन्दीप शाह

सन्दीप शाह दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक हैं। वे तकनीक के माध्यम से हिंदी के प्रचार-प्रसार को लेकर कार्यरत हैं। बचपन से ही जिज्ञासु प्रकृति के रहे सन्दीप तकनीक के नए आयामों को समझने और उनके व्यावहारिक उपयोग को लेकर सदैव उत्सुक रहते हैं। हिंदीपथ के साथ जुड़कर वे तकनीक के माध्यम से हिंदी की उत्तम सामग्री को लोगों तक पहुँचाने के काम में लगे हुए हैं। संदीप का मानना है कि नए माध्यम ही हमें अपनी विरासत के प्रसार में सहायता पहुँचा सकते हैं।

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